By: Sonu Sharma
अपनी बेटी का विवाह करने के लिए माता-पिता वर की कुंडली का गुण मिलान करते हैं, वह अपनी कन्या के भविष्य की चिंता के कारणवश ऐसा करते है । लेकिन यदि उन्हें ज्ञात हो किउनकी कन्या का विवाह किस उम्र में, किस दिशा में तथा कैसे घर में होगा तो उनके लिए वर ढूंढ़ना और भी आसान होगा । ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से वह अपने इन सब सवालों काजवाब पा सकते है ।
- यदि कन्या की कुंडली में सप्तम भाव में वृष, सिंह, वृश्चिक तथा कुंभ राशि स्थित हो तो सम्भावना होती है की उस कन्या का विवाह उसके जन्म स्थान से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर होता है ।
- यदि कुंडली में सप्तम भाव में चंद्र, शुक्र तथा गुरु ग्रह स्थित हो तो माना जाता है की उस कन्या की शादी उसके जन्म स्थान के बहुत ही समीप होगी।
- अगर कुंडली में सप्तम भाव में चर राशि यानि की मेष, कर्क, तुला या मकर राशि स्थित हो तो उसका विवाह उसके जन्म स्थान से 200 किलोमीटर की दूरी पर ही होगा ।
- और यदि सप्तम भाव में द्विस्वभाव राशि जैसे की मिथुन, कन्या, धनु या मीन राशि स्थित हो तो उस कन्या की शादी उसके जन्म स्थान से 100 किलोमीटर के अंदर हीहोगी तथा अगर सप्तमेश सप्तम भाव से द्वादश भाव के मध्य हो तो बहुत सम्भावना होती है वह कन्या विवाह के पश्चात विदेश में बस जाएगी ।
पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार ससुराल की दिशा व स्थान कुंडली में शुक्र ग्रह की स्तिथि देखकर जानी जा सकता है । कुंडली में जिस घर में शुक्र ग्रह स्थित है उस घर से सातवें स्थान पर जो राशि होती है उस राशि के स्वामी की दिशा में ही विवाह होता है –
मेष, वृश्चिक व मंगल राशि हो तो दक्षिण दिशा में विवाह होता है
वर्षभ, तुला, शुक्र हो तो दक्षिण-पूर्व दिशा में विवाह होता है
मिथुन, कन्या, बुध हो तो उत्तर दिशा में विवाह होता है
कर्क, चंद्रमा हो तो उत्तर-पश्चिम दिशा में विवाह होता है
सिंह,सूर्य हो तो पूर्व दिशा में विवाह होता है
धनु, मीन, गुरु, हो तो उत्तर-पूर्व दिशा में विवाह होता है
मकर, कुम्भ, शनि हो तो पश्चिम दिशा में विवाह होता है ।
Diksha Kaushal is a marriage astrologer with 10+ years’ expertise in compatibility, birth-chart analysis, and numerology, guiding couples toward stronger, harmonious, and long-lasting relationships.