श्री विष्णु जी आरती (Shri Vishnu Ji Aarti)

श्री विष्णु जी आरती

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श्री विष्णु आरती को विष्णु भगवान की पूजा अर्चना का एक महत्वपूर्ण अंग माना जाता है। इस आरती के द्वारा श्रद्धालु भक्त भगवान विष्णु की कृपा और आशीर्वाद का आभास करते हैं और उनके जीवन में सुख, समृद्धि, सफलता और शांति की कामना करते हैं।

इस आरती में विष्णु भगवान के नाम, गुण, और लीलाओं का उल्लेख होता है। यह आरती भक्ति और श्रद्धा के भाव को उत्तेजित करती है और भगवान विष्णु की कृपा और आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करते हुए उनसे अपनी जिंदगी में समस्याओं को दूर करने की बिनती करते हैं।

इस आरती को भगवान विष्णु की विभिन्न अवतारों, जैसे राम, कृष्ण, नारायण आदि की पूजा में भी उपयोग किया जाता है। यह आरती भगवान विष्णु की कृपा, आशीर्वाद और प्रसन्नता के लिए अनुरोध करने वाले सभी भक्तों के लिए उपयोगी होती है।

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श्री विष्णु आरती
ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ||
 
|| ॐ जय जगदीश हरे ||
 
मात पिता तुम मेरे,
शरण गहूं मैं किसकी
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी
तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी ||
 
|| ॐ जय जगदीश हरे ||
 
तुम पूरण परमात्मा,
तुम अंतर्यामी
स्वामी तुम अंतर्यामी
पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी ||
 
|| ॐ जय जगदीश हरे ||
 
तुम करुणा के सागर,
तुम पालन कर्ता
स्वामी तुम पालन कर्ता
मैं मूरख खल कामी ,
कृपा करो भर्ता ||
 
|| ॐ जय जगदीश हरे ||
 
तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति,
किस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति ||
 
|| ॐ जय जगदीश हरे ||
 
दीनबंधु दुखहर्ता,
ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी ठाकुर तुम मेरे
अपने हाथ उठा‌ओ,
द्वार पड़ा मैं तेरे ||
 
|| ॐ जय जगदीश हरे ||
 
विषय विकार मिटा‌ओ,
पाप हरो देवा,
स्वामी पाप हरो देवा,
श्रद्धा भक्ति बढ़ा‌ओ,
संतन की सेवा ||
 
|| ॐ जय जगदीश हरे ||
 
श्री जगदीश जी की आरती,
जो कोई नर गावे,
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी,
सुख संपत्ति पावे ||
 
|| ॐ जय जगदीश हरे ||
॥ इति श्री विष्णु आरती॥
 
“ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट क्षण में दूर करे ॐ जय जगदीश हरे”