श्री साईं बाबा आरती

श्री साईं बाबा आरती

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श्री साईं बाबा की आरती श्रद्धालुओं के द्वारा नियमित रूप से गाई जाती है। यह आरती साईं बाबा को समर्पित होती है और भक्तों के मन में दिव्यता का अनुभव कराती है।

श्री साईं बाबा की आरती के गाने से भक्तों को भगवान साईं बाबा के दर्शन होते हैं और उन्हें आत्मिक शांति, सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति में मदद मिलती है। यह आरती भक्तों के मन में साईं बाबा के भक्ति भाव को जगाती है और उन्हें उनके जीवन के अंतिम अवसर में उनकी मुक्ति की प्राप्ति में मदद मिलती है।

इसके अलावा, श्री साईं बाबा की आरती के गाने से भक्तों के मन में साईं बाबा के लिए प्रेम, करुणा और श्रद्धा का भाव उत्पन्न होता है। इस आरती के गाने से भक्तों को अनन्त शांति, समृद्धि और समस्त दुःखों से मुक्ति की प्राप्ति में मदद मिलती है।

इसलिए, श्री साईं बाबा की आरती गाने से भक्तों को आत्मिक उन्नति, आनंद, शांति, सुख और समृद्धि की प्राप्ति में मदद मिलती है।

 

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श्री साईं बाबा की आरती
ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे।
 
भक्तजनों के कारण, उनके कष्ट निवारण॥
 
शिरडी में अव-तरे, ॐ जय साईं हरे।
ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे॥
 
दुखियन के सब कष्टन काजे, शिरडी में प्रभु आप विराजे।
फूलों की गल माला राजे, कफनी, शैला सुन्दर साजे॥
 
कारज सब के करें, ॐ जय साईं हरे।
ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे॥
 
काकड़ आरत भक्तन गावें, गुरु शयन को चावड़ी जावें।
सब रोगों को उदी भगावे, गुरु फकीरा हमको भावे॥
 
भक्तन भक्ति करें, ॐ जय साईं हरे।
ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे॥
 
हिन्दु मुस्लिम सिक्ख इसाईं, बौद्ध जैन सब भाई भाई।
रक्षा करते बाबा साईं, शरण गहे जब द्वारिकामाई॥
 
अविरल धूनि जरे, ॐ जय साईं हरे।
ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे॥
 
भक्तों में प्रिय शामा भावे, हेमडजी से चरित लिखावे।
गुरुवार की संध्या आवे, शिव, साईं के दोहे गावे॥
 
अंखियन प्रेम झरे, ॐ जय साईं हरे।
ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे॥
 
ॐ जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे।
शिरडी साईं हरे, बाबा ॐ जय साईं हरे॥
 
श्री सद्गुरु साईंनाथ महाराज की जय॥
 
सांई बाबा आरती
 
आरती श्री साई गुरुवर की परमानन्द सदा सुरवर की
जाके कृपा विपुल सुख कारी दुःख शोक संकट भ्ररहारी
 
आरती श्री साई गुरुवर की …
शिर्डी में अवतार रचाया चमत्कार से तत्व दिखाया
कितने भक्त शरण में आए वे सुख़ शांति निरंतर पाए
 
आरती श्री साई गुरुवर की …
भाव धरे जो मन मैं जैसा साई का अनुभव हो वैसा
गुरु को उदी लगावे तन को समाधान लाभत उस तन को
 
आरती श्री साई गुरुवर की …
साईं नाम सदा जो गावे सो फल जग में साश्वत पावे
गुरुवार सदा करे पूजा सेवा उस पर कृपा करत गुरु देवा
 
आरती श्री साई गुरुवर की …
राम कृष्ण हनुमान रूप में दे दर्शन जानत जो मन में
विविध धरम के सेवक आते दर्शनकर इचित फल पाते
 
आरती श्री साई गुरुवर की …
जय बोलो साई बाबा की ,जय बोलो अवधूत गुरु की
साई की आरती जो कोई गावे घर में बसी सुख़ मंगल पावे
 
आरती श्री साई गुरुवर की …
 
अनंत कोटि ब्रह्मांड नायक राजा धिराज योगी राज ,जय जय जय साई बाबा की
 
 
आरती श्री साई गुरुवर की परमानंद सुरवर की
 
आरती साई बाबा | सौख्यदातार जीवा. चरनरजातलि |
द्यावा दासा विसावा | भक्ता विसावा || आरती साई बाबा ||
 
हम साई बाबा की आरती करे जो सभी जीवो को सुख देने वाले है |
है बाबा, हम दासो और भक्तो को आप अपनी चरण धूलि का आश्रय दीजिये | हम साई बाबा की आरती
 
 
 
जाणुनिया अनंग | सस्वरुपी राहे दंग |
मुमुक्षुजन दावी | निज डोळा श्रीरंग || १ || आरती…||
 
काम और इच्छाओ को जलाकर आप आत्मरूप मैं लीन हैं | हे साई।
मुमुक्षजनों अर्थात मुक्ति की कामना करने वाले अपने नेत्रों से आप को श्रीरंग (विष्णु ) स्वरुप का दर्शन करें अर्थात् आप उन्हें आत्म साख्सात्कार दीजिये | हम साई बाबा की आरती
 
जया मनी जैसा भाव | तयातैसा अनुभव |
दाविसी दयाघना | ऐसी तूझी ही माव तुझी ही माव || २ || आरती…||
 
जिसके मन मैं जैसा भाव हो उसे आप वैसा ही अनुभव देते हैं | हे दयाधन (दया बरसानेवाले बादल) साई, आपकी ऐसी ही माया है | हम साई बाबा की आरती
 
तुमचे नाम ध्याता | हरे संस्क्रुतिव्यथा |
अगाध तव कारणी। मार्ग दाविसी अनाथा , दाविसी अनाथा ॥ ३ ॥ आरती… ॥
 
आपके नाम के स्मरण मात्र से ही सांसारिक व्यथाओं का अंत हो जाता है। आपकी करनी तो अगाध और अपरमपार है।
है साई, आप हम अनाथों को राह दिख्लाए। हम साई बाबा की आरती
 
कलियुगी अवतार। सगुण परब्रह्म साचार।
अवतीर्ण झालासे। स्वामी दत्त दिगंबर दत्त दिगंबर | ४ ॥ आरती… ॥
 
आपही परब्रह्म हैं, जिसने सगुण रूप मैं इस कलियुग मैं अवतार लिया।
हे स्वामी, आप ही दत्त दिगंबर (ब्रह्मा, विष्णु और महेश का एक रूप – श्री दत्तात्रेय ) के रूप मैं अवतरित हुए। हम साई बाबा की आरती
 
आठां दिवसा गुरुवारी। भक्त करिती वारी।
प्रभुपद पहावया। भवभय निवारी , भय निवारी॥ ५ ॥ आरती…॥
 
हर दिन आंठवे दिन अर्थात् सप्ताह के हर गुरुवार को भक्त शिरडी की यात्रा करते हैं।
और इस संसार के भय निवारण हेतु आपके चरणों के दर्शन करते हैं. हम साई बाबा की आरती
 
माझा निजद्रव्य ठेवा। तव चरणरजसेवा।
मागणे हेची आता। तुम्हां देवाधिदेवा , देवाधिदेवा॥ ६ ॥ आरती… ॥
 
आपके चरणों की धुल की सेवा ही मेरी समस्त निधि हो। हे देवों के देव, आब यही मेरी कामना है। हम साई बाबा की आरती
 
इच्छित दीन चातक। निर्मल तोय निजसुख।
पाजावें माधव या। सांभाळ आपुली भाक , आपुली भाक॥ ७ ॥ आरती… ॥