श्री महालक्ष्मी आरती हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण होती है। यह आरती माँ लक्ष्मी की पूजा करने का एक विशेष तरीका है जो अक्सर प्रतिदिन की जाती है। इस आरती के उच्चारण से माँ लक्ष्मी को प्रसन्न किया जाता है और उनकी कृपा प्राप्त की जाती है।
इस आरती के उच्चारण से मनुष्य के जीवन में धन, समृद्धि, सुख, सम्पत्ति और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। यह आरती उन लोगों के लिए विशेष फलदायी होती है जो व्यापार, वित्त और धन संबंधी क्षेत्रों में काम करते हैं।
इसके अलावा, श्री महालक्ष्मी आरती का उच्चारण करने से माँ लक्ष्मी से मानव जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों और परेशानियों से मुक्ति मिलती है। इस आरती के उच्चारण से जीवन में एक नई ऊर्जा भर जाती है और व्यक्ति आशाओं और सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित होता है।
श्री महालक्ष्मी आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत,
हरि विष्णु विधाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
उमा,रमा,ब्रह्माणी,
तुम ही जग-माता।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत,
नारद ऋषि गाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
दुर्गा रुप निरंजनी,
सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत,
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
तुम पाताल-निवासिनि,
तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,
भवनिधि की त्राता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
जिस घर में तुम रहतीं,
तहँ सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता,
मन नहीं घबराता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
तुम बिन यज्ञ न होते,
वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव,
सब तुमसे आता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर,
क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन,
कोई नहीं पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
महालक्ष्मीजी की आरती,
जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता,
पाप उतर जाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
॥ इति श्री महालक्ष्मी आरती ॥