October 17, 2017 Blog

क्या है महत्व नरकचतुर्दशी  या रूप चौदस का!

BY : STARZSPEAK

Table of Content

लेखिका : रजनीशा शर्मा

त्रयोदशी के अगले दिन अर्थात कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चौदश या रूप चौदश का त्यौहार  मनाया | प्राचीन मान्यता के अनुसार इस दिन प्रातः जो व्यक्ति तेल लगा कर और अपामार्ग की पत्तिया जल में डाल  कर स्नान करते है वे व्यक्ति सभी पापो से मुक्त हो जाते है | शाम के समय सभी लोग अपने घर के अंदर और बाहर दीये जला कर रौशनी करते है | नरक चौदश या छोटी दीपावली को भी लोगो का उत्साह उतना ही रहता है जितना की अमावस्या को मनाई जाने वाली दीवाली के दिन | इस दिन समुद्र मंथन से माँ कामधेनु का अवतरण पृथ्वी पर हुआ था |

                                                                                       नरक चतुर्दशी का दिन नरक के देवता भगवान यम की पूजा आराधना का दिन माना जाता है | इस दिन भगवान यम को तिल डाल कर तीन अंजुली जल अर्पित किया जाता है | इस दिन घर के अंदर एवं आस पास में सभी स्थान पर दीप प्रज्वल्लित किया जाता है | त्रयोदशी से अमावस्या तक दीप जलाने से भगवान यम प्रसन्न होते है और व्यक्ति को नरक के दुखो का भय नहीं सताता | नरक चतुर्दशी को रूप चौदश के नाम से भी जाना जाता है | माता लक्ष्मी के आगमन की ख़ुशी में एक दिन पूर्व लोग सुगंधित जल से स्नान कर अपने शरीर  की सुंदरता और सौम्यता को निखरते है ताकि अगले दिन नवयौवन के साथ माँ लक्ष्मी का स्वागत कर सके | इसी दिन शत्रु के अनुसार भगवान हनुमान का भी जन्म दिवस माना जाता है | देश के कई स्थानों पर इस दिन हनुमान जयंती भी मनाई जाती है | ऐसा भी कहा जाता है की भगवान कृष्ण ने इसी दिन नरकासुर का भी वध किया था | इसी कारण इसे नरक चतुर्दशी कहा जाता है | भगवान कृष्ण ने नरका सुर का वध कर उसकी कैद में यातना झेल रही सभी स्त्रियों को यातना मुक्त कराया था | भगवान कृष्ण ने अंत समय में नरकासुर की प्रार्थना पर उसे यह वर दिया की जो भी व्यक्ति कार्तिक चतुर्दशी के दिन प्रातः सूर्य निकलने से पूर्व स्नान कर भगवान विष्णु या कृष्ण का दर्शन करेगा वह नरक यातनेयो से मुक्त हो जायेगा | इस दिन कई स्थानों पर व्रत करने का भी नियम है | एक बार एक ऋषि ने भगवान विष्णु की घोर तपस्या की किन्तु कुछ दिन पश्चात ही उनके शरीर में  कीड़े पड़ गए तब नारद ऋषि ने उन्हें कार्तिक चतुर्दशी को व्रत कर भगवान विष्णु का पूजन करने को कहा |ऐसा करने से ऋषि शरीर पहले से भी अधिक कांतिवान हो गया |  

                                                                                           इस दिन भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त करने के लिए हनुमान जी का षोडशोपचार पूजन करना चाहिए | सुगंधित तेल में सिन्दूर मिला कर उससे भगवान की मूर्ति को लेप करे | हजार के पुष्प चढ़ाये और फिर आटे के लड्डू बना कर भोग लगाए और फल चढ़ाये | पूजन के पश्चात सुंदर कांड का पाठ अवश्य करे | इस दिन भगवान हनुमान का पूजन करने से शनि एवं राहु का प्रकोप नहीं रहता है | इस दिन अष्टादश  मंत्र का जप करे -

                                            ॐ भगवते आंजनेयाय महाबलाय स्वाहा ||