शिक्षा व्यक्ति के जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है, हर व्यक्ति अच्छी शिक्षा प्राप्त करना चाहता है । ज्योतिष की दृष्टि से देखे तो कुंडली में दूसरा भाव, पंचम भाव, पंचमेश, बुध बुद्धि का कारक तथा गुरु ग्रह ज्ञान का कारक होने से महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है । कुंडली में इनकी स्थिति अच्छी होगी तो व्यक्ति अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकता है ।
यदि कोई व्यक्ति गणित की शिक्षा प्राप्त करना चाहता है तो इसके लिए सूर्य के साथ मंगल और गणित के कारक बुध का सम्बन्ध पंचम भाव या पंचमेश से बनना जरुरी है, इसी प्रकार नवांश कुंडली में भी पंचम भाव तथा पंचमेश की शुभ स्थिति होनी चाहिए ।
यदि शनि और बुध की युति एकादश भाव में हो तो यह गणित की शिक्षा के लिए अच्छा योग है ।
इसी प्रकार यदि किसी की कुंडली में मंगल व चन्द्रमा दूसरे भाव में स्थित हो तथा बुध केंद्र में स्थित हो तो यह गणितज्ञ बनने का योग है ।
यदि कुंडली में लग्न में गुरु स्थित हो तथा अष्टम भाव में शनि स्थित हो तो गणित की शिक्षा के लिए अच्छा योग है ।
यदि किसी कुंडली में सूर्य तथा बुध स्थित हो तथा वह भाव शनि द्वारा प्रभावित हो तो गणित की शिक्षा देता है ।
यदि किसी कुंडली में द्वितीय भाव में उच्च का बुध हो, लग्न में गुरु हो तथा अष्टम में शनि हो तो गणित के लिए अच्छा योग बनता है ।
यदि कुंडली में बुध द्वितीय भाव में स्थित हो तथा गुरु केंद्र में हो या त्रिकोण में स्थित हो तो गणितज्ञ का योग बनता है ।
कुंडली में दूसरे, तीसरे या पांचवे भाव में केतु और गुरु हो तो भी व्यक्ति गणित में अच्छा होता है ।