हर व्यक्ति सुखी वैवाहिक जीवन की कल्पना करता हैं, विवाह एक पद्धति हैं जिसमे दो व्यक्तियों ही नहीं वरन दो परिवारों का मेल हैं । हर व्यक्ति चाहता हैं वह अंत समय तक अपने जीवनसाथी का साथ निभाए इसीलिए भारतीय पद्धति में अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लिए जाते हैं । कभी -कभी वैचारिक मतभेद के कारण तथा सहनशक्ति की कमी के कारण व्यक्ति बहुत तनाव में आ जाता हैं । पहले महिला आर्थिक रूप से कमजोर होती थी तो कोई भी कदम बड़े सोच विचार के बाद ही उठाती थी लेकिन आज कल तलाक की संख्या दिनोदिन बढ़ती जा रही हैं ।
यदि हम ज्योतिषी कारणों को देखे हो व्यक्ति की कुंडली में यदि सप्तम भाव या सप्तमेश पीड़ित हो, सप्तम भाव में अशुभ ग्रहों की युति या दृष्टि प्रभाव हो, सप्तम तथा पंचम भाव के मध्य अशुभ ग्रहों का होना विवाह में अनबन तथा तलाक को दर्शाता हैं ।
यदि किसी जातक की कुंडली में तुला लग्न में लग्नेश शुक्र तृतीय ।भाव में सप्तमेश मंगल दशम में स्थित हो तो यह विवाह की दृष्टि से अशुभ माना जाता हैं और वैवाहिक जीवन में अशांति को दर्शाता हैं । इसी तरह कन्या लग्न की कुंडली में लग्नेश बुध, चतुर्थ भाव में स्थित हो तथा सप्तमेश गुरु ग्यारहवे भाव में स्थित होकर एक दूसरे से छटे आठवे भाव में स्थित होने से अशुभ हैं तथा वैवाहिक जीवन में अनबन का सूचक हैं ।
यदि किसी जातक की कुंडली में लग्न भाव या सप्तम भाव में राहु या शनि स्थित हो, इनकी युति हो तथा कुंडली में चौथा भाव पीड़ित हो या अशुभ प्रभाव में हो, अशुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो व्यक्ति वैवाहिक सुख से वंचित रहता हैं । यदि लग्न मंगल या शनि की राशि हो तथा लग्न भाव में शुक्र तथा सप्तम भाव में सूर्य या राहु या शनि इनमे से कोई ग्रह स्थित हो तो विवाह ज़्यादा समय तक नहीं टिकता, इसी प्रकार चौथे भाव तथा बारहवे भाव के स्वामी की युति यदि चौथे भाव में, छटे भाव में या बारहवे भाव में हो तो यह पति पत्नी का अलगाव करवाता हैं ।
Diksha Kaushal is a marriage astrologer with 10+ years’ expertise in compatibility, birth-chart analysis, and numerology, guiding couples toward stronger, harmonious, and long-lasting relationships.