September 27, 2024 Blog

Ahoi Ashtami 2024: अहोई अष्टमी व्रत कब और क्यों किया जाता है ? जानिए इस व्रत की कथा , पूजा का सही समय एवं महत्त्व

BY : STARZSPEAK

Ahoi Ashtami 2024: अहोई अष्टमी, हिंदू धर्म में एक विशेष व्रत के रूप में मनाई जाती है। यह व्रत खासतौर पर माताओं द्वारा अपने संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और खुशहाल जीवन के लिए किया जाता है। अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है, जो कि दीपावली से लगभग आठ दिन पहले पड़ती है। यह व्रत उत्तर भारत में खासा लोकप्रिय है, और इसे विशेष रूप से वे माताएं करती हैं, जिनके बेटे या संतान होती हैं।

अहोई अष्टमी 2024 की तिथि एवं  शुभ मुहूर्त (Ahoi Ashtami 2024 Date & Auspicious Time)

इस साल अहोई अष्टमी का व्रत गुरुवार, 24 अक्टूबर 2024 को रखा जाएगा। इस दिन माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए व्रत करती हैं, और रात में चंद्र दर्शन के बाद व्रत का समापन करती हैं

अहोई अष्टमी तिथि (Ahoi Ashtami date)  की शुरुआत 20 अक्टूबर, 2024 को रात 1 बजकर 18 मिनट से हो रही है और इसका समापन 25 अक्टूबर 2024 को रात 01 बजकर 58 मिनट पर होगा। अहोई अष्टमी की  पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 42 मिनट से  शाम 06 बजकर 59 मिनट तक है। जिसकी कुल अवधि  01 घण्टा 17 मिनट की है। तारों को देखने के लिये शाम का समय 06 बजकर 06  मिनट पर है और चन्द्रोदय समय रात 11 बजकर 55 मिनट पर है। 


अहोई अष्टमी व्रत का महत्व (Importance Of Ahoi Ashtami Vrat) 

अहोई अष्टमी का व्रत माताओं के लिए विशेष होता है, क्योंकि इसे बच्चों की लंबी उम्र और कल्याण के लिए किया जाता है। अहोई माता (जिन्हें कहीं-कहीं पर अहोई भगवती भी कहा जाता है) की पूजा इस दिन की जाती है। अहोई माता को साक्षात् शक्ति का प्रतीक माना जाता है, जो अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं। इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से न सिर्फ संतानों की रक्षा होती है, बल्कि जीवन में समृद्धि, सुख और शांति भी बनी रहती है।

Ahoi Ashtami Images

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अहोई अष्टमी व्रत कथा (Ahoi Ashtami Vrat Katha) 

अहोई अष्टमी से जुड़ी एक प्राचीन पौराणिक कथा प्रचलित है। पुराने समय की बात है, एक गाँव में एक स्त्री अपने परिवार के साथ निवास करती थी। उसके सात बेटे थे और वह अपने बच्चों की भलाई के लिए हमेशा चिंतित रहती थी। एक दिन, दीवाली से पहले, वह जंगल में मिट्टी लेने के लिए गई ताकि वह अपने घर की सजावट कर सके। मिट्टी खोदते समय गलती से उसके खुरपी से एक छोटे से शिशु साही (साही का बच्चा) की मृत्यु हो गई।

इस घटना से वह महिला बहुत दुखी हुई और उसे अपराध बोध होने लगा। जब वह घर लौटी, तो कुछ समय बाद उसके सातों पुत्रों की एक-एक करके मृत्यु होने लगी। दुख और पीड़ा से घिरी महिला ने कई अनुष्ठान किए, लेकिन कुछ भी सफल नहीं हुआ। 

तब एक दिन, किसी विद्वान ने उसे सलाह दी कि वह अहोई माता का व्रत रखे और सच्चे मन से पूजा करे। महिला ने सच्चे मन से अहोई अष्टमी का व्रत रखा और अहोई माता से माफी मांगी। व्रत के प्रभाव से उसके सातों पुत्र पुनर्जीवित हो गए और उसका जीवन फिर से खुशहाल हो गया।

इस दिन की कथा (Ahoi ashtami katha) से यह संदेश मिलता है कि सच्चे मन से पूजा और व्रत रखने से सभी प्रकार की विपत्तियाँ टल जाती हैं और माता के आशीर्वाद से पुत्र की रक्षा होती है और समृद्धि मिलती है। 


अहोई अष्टमी व्रत की  विधि (Ahoi Ashtami Vrat Vidhi)

  1. व्रत के दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और व्रत का संकल्प लेती हैं। वे अपने संतान की लंबी आयु और कल्याण के लिए अहोई माता की पूजा करने का प्रण करती हैं।
  1. घर के पूजा स्थल पर अहोई माता c तस्वीर या प्रतीक बनाया जाता है। इसे मिट्टी से दीवार पर उकेरा जाता है या बाजार से खरीदी गई तस्वीर का उपयोग किया जाता है। इस तस्वीर में साही और उसके बच्चे भी बनाए जाते हैं, जो इस दिन की कथा का प्रतीक होते हैं।
  1. पूजा के लिए एक थाली में जल, सिंदूर, रोली, चावल, दीपक, मिठाई, और फलों की व्यवस्था की जाती है। साथ ही, 7 प्रकार के अनाज भी रखे जाते हैं जो व्रत के साथ जुड़े होते हैं।
  1. महिलाएं शाम के समय अहोई माता की पूजा करती हैं। वे धूप, दीप और नैवेद्य (मिठाई) अर्पित करती हैं और अपनी संतानों की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। साथ ही, अहोई अष्टमी की कथा का पाठ किया जाता है, जिसमें अहोई माता के आशीर्वाद से बच्चों की सुरक्षा की कथा सुनाई जाती है।
  1. रात को चंद्रमा के उदय के बाद महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं। यह पूजा का अंतिम चरण होता है, जिसके बाद व्रत खोला जाता है। चंद्र दर्शन के बिना व्रत पूरा नहीं माना जाता।


अहोई अष्टमी व्रत का फल (Result of Ahoi Ashtami fast)

अहोई अष्टमी का व्रत (Ahoi Ashtami vrat) रखने से माताओं को अपनी संतानों की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद मिलता है। यह व्रत संतान की सुरक्षा के लिए किया जाता है और इसका फल बहुत शुभ माना जाता है। यह व्रत केवल संतान के कल्याण के लिए ही नहीं, बल्कि संपूर्ण परिवार की भलाई और समृद्धि के लिए भी लाभकारी होता है। 

व्रत करने वाली महिलाएं मानसिक और शारीरिक शुद्धि प्राप्त करती हैं, और अहोई माता की कृपा से जीवन में आने वाली बाधाओं से मुक्ति पाती हैं। अहोई माता का आशीर्वाद उनके जीवन को खुशहाल और समृद्ध बनाता है, और उनकी संतानें दीर्घायु और स्वस्थ रहती हैं।

इस प्रकार, अहोई अष्टमी का व्रत मातृत्व प्रेम और संतान की भलाई के लिए समर्पित एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे समर्पण और भक्ति के साथ मनाया जाता है।


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