July 14, 2020 Blog

Hariyali Teej 2020 Date, Puja Vidhi, Timings: कैसे रखा जाता है हरियाली तीज व्रत, जानिए क्या है पूजा विधि, मंत्र, कथा और मुहूर्त

BY : STARZSPEAK

Hariyali Teej 2020 Date, Puja Vidhi, Muhurat, Timings, Samagri, Mantra:

इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा का विधान है। इस पर्व को सुहागिन महिलाएं नए वस्त्र मुख्य रूप से हरी साड़ी पहनकर सजधज कर तीज के गीत गाते हुए हर्षोल्लास के साथ मनाती हैं।

तीज का त्योहार उत्तर भारतीय महिलाओं द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है। सावन में आने वाली तीज को श्रावणी तीज और हरियाली तीज के नाम से जाना जाता है। ये पर्व नाग पंचमी से दो दिन पहले श्रावण शुक्ल तृतीया को आता है। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा का विधान है। इस पर्व को सुहागिन महिलाएं नए वस्त्र मुख्य रूप से हरी साड़ी पहनकर सजधज कर तीज के गीत गाते हुए हर्षोल्लास के साथ मनाती हैं। जानिए हरियाली तीज की पूजा विधि, व्रत कथा, मुहूर्त और सभी जानकारी यहां…

पूजा विधि: इस दिन निर्जला व्रत रख भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन किया जाता है। व्रत वाले दिन व्रती महिलाएं सुबह जल्दी उठ स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। फिर पूजा स्थान में जाकर व्रत करने का संकल्प लें और ‘उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये’ मंत्र का जाप करें। इसके बाद साफ मिट्टी से भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा या मूर्ति बना लें। अगर ऐसा करना संभव न हो तो आप समस्त शिव परिवार की मूर्ति पूजा घर में रख सकते हैं। इसके बाद सबसे पहले भगवान गणेश का पूजन करें। फिर महादेव और माता पार्वती की अराधना करें। पूजा के समय पार्वती जी को श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें और शिव को वस्त्र चढ़ाएं। इसके बाद महिलाएं तीज व्रत की कथा सुनें या पढ़ें। अंत में भगवान गणेश, माता पार्वती और शिव जी की आरती करें। उन्हें नैवेद्य अर्पित करें और फिर घर के बने स्वादिष्ट पकवानों का भोग लगाएं। फिर उसी प्रसाद को खुद ग्रहण करें और दूसरों में बाटें। संध्या काल में एक समय सात्विक भोजन करते हुए, तीज का व्रत खोलें।

हरियाली तीज मुहूर्त: तृतीया तिथि की शुरुआत 22 जुलाई को शाम 07:21 बजे से हो जाएगी और इसकी समाप्ति 23 जुलाई को 05:02 बजे पर होगी। हरियाली तीज का पर्व 23 जुलाई को है इसलिए इस दिन सुबह और शाम में किसी भी समय पूजा की जा सकती है।

हरियाली तीज का महत्व:
हरियाली तीज पर भगवान शिव और पार्वती जी के लिए व्रत किया जाता है। भारत के उत्तरी इलाकों में इस पर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। ये व्रत शादीशुदा महिलाओं के अलावा कुंवारी कन्याओं के द्वारा भी रखा जाता है। हरियाली तीज सौंदर्य और प्रेम का पर्व हैं। हरियाली तीज का पर्व श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं सोलह शृंगार करती हैं। हाथों में मेहंदी लगाती हैं, सावन मास के गीत गाती हैं।

हरियाली तीज व्रत विधि:
हरियाली तीज के दिन सुबह उठ कर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. उसके बाद भगवान के समक्ष मन में पूजा, व्रत करने का संकल्प लें। पूरे घर की अच्छी तरह से साफ-सफाई करने के बाद तोरण से मंडप सजाएं. एक चौकी या पटरी पर मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, भगवान गणेश, माता पार्वती की प्रतिमा के साथ उनकी सखियों की प्रतिमा भी बनाएं. शृंगार का सामान माता पार्वती को अर्पित करें, फिर प्रतिमाओं के सम्मुख आवाह्न करें. माता-पार्वती, शिव जी और उनके साथ गणेश जी की पूजा करें. शिव जी को वस्त्र अर्पित करें और हरियाली तीज की कथा सुनें.

हरियाली तीज पूजा मंत्र:
 
देहि सौभाग्य आरोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
पुत्रान देहि सौभाग्यम देहि सर्व।
कामांश्च देहि मे।।
रुपम देहि जयम देहि यशो देहि द्विषो जहि।।

हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त...
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का प्रारंभ 22 जुलाई 2020 दिन बुधवार को शाम 07 बजकर 21 मिनट से हो रहा है, जो अगले दिन 23 जुलाई 2020 दिन गुरुवार को शाम 05 बजकर 02 मिनट तक है। अभिजीत मुहूर्त: 23 जुलाई को दोपहर 12:00 बजे से 12:55 तक। अमृत काल: 23 जुलाई को दोपहर 03:29 बजे से 04:59 तक। विजय मुहूर्त: 23 जुलाई को दोपहर 02:44 बजे से दोपहर 03:39 बजे तक।

हरियाली तीज कैसे मनाई जाती है? (How Is Celebrate Hariyali Teej):
हरियाली तीज के दिन महिलाएं व्रत रखती हैं, मेंहदी लगाती हैं, श्रृंगार करती हैं, हरा लहरिया या चुनरी में गीत गाती हैं, झूला झूलती हैं और खुशियां मनाती हैं।

हरियाली तीज व्रत विधि:
सुबह उठ कर स्‍नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद मन में पूजा करने का संकल्प लें और 'उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये' मंत्र का जाप करें। पूजा शुरू करने से पूर्व काली मिट्टी से भगवान शिव और मां पार्वती तथा भगवान गणेश की मूर्ति बनाएं। फिर थाली में सुहाग की सामग्रियों को सजा कर माता पार्वती को अर्पण करें। ऐसा करने के बाद भगवान शिव को वस्त्र चढ़ाएं। उसके बाद तीज की कथा सुने या पढ़ें।

हरियाली तीज पर सोलह श्रृंगार के कौन-कौन से होते हैं?
हरियाली तीज के दिन स्त्रियां सोलह श्रृंगार करती हैं। सोलह श्रृंगार अखंड सौभाग्य की निशानी होती है। हरियाली तीज सावन मास का महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की प्रथम मिलन हुआ था। सुहागिन स्त्रियों के लिए यह पर्व सुखद दांपत्य जीवन के लिए प्रेरित करता है। इस दिन स्त्रियां सोलह श्रृंगार करती हैं. आइए जानते हैं सोलह श्रृंगार के अंर्तगत कौन कौन से श्रृंगार आते हैं। पुष्प का श्रृंगार, माथे पर बिंदी या टिका, मांग में सिंदूर, गले में मंगल सूत्र, कानों में कुंडल, माथे पर स्वर्ण टिका, कंगन या चूडियां, बाजूबंद, कमरबंद, पायल, बिछिया, नथनी, मुद्रिका या अंगूठी, मेहंदी, काजल या सुरमा, मुख सौंदर्य।

हरियाली तीज का पौराणिक महत्व (Hariyali Teej Significance):
उत्तर भारतीय राज्यों में तीज का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। हरियाली तीज पर शिव-पार्वती जी की पूजा और व्रत किया जाता है। शिव पुराण के अनुसार इसी दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था। मान्यता है कि इस दिन विवाहित महिलाओं को अपने मायके से आए कपड़े पहनने चाहिए और साथ ही श्रृंगार में भी वहीं से आई वस्तुओं का इस्तेमाल करना चाहिए। अच्छे वर की मनोकामना के लिए इस दिन कुंवारी कन्याएं भी व्रत रखती हैंय़