April 27, 2020 Blog

धार्मिक कार्यों और समारोह आदि में सुगंध का क्या महत्व होता हैं, जानिये

BY : STARZSPEAK

धार्मिक कार्यों और समारोह आदि में सुगंध का क्या महत्व होता हैं, जानिये

प्रकृति बहुत सी ऐसी सुगंधों से भरपूर है जिसके इस्तेमाल से या जिसे सुंघकर मन को प्रसन्न किया जा सकता है। सुगंध को आसपास के माहौल को खुशनुमा बनाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। सिर्फ धर्म में ही नहीं बल्कि वास्तु विज्ञान में भी सुगंध का बहुत महत्व है। सुगंध प्रकृति का अनमोल खजाना है जिसका इस्तेमाल धार्मिक कार्यों और समारोह में होता है। आज हम आपको बताएंगे सुगंध को धार्मिक कार्यों और समारोह में इतनी महत्ता क्यों मिली हुई है।

सकारात्मक ऊर्जा के लिए होता है सुगंध का इस्तेमाल - 

ऐसा माना जाता है कि सुगंध से सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है और मन खुश होता है। इसीलिए धार्मिक कार्यों और समारोह में सुगंध का इस्तेमाल किया जाता है। आमतौर पर धार्मिक कार्य और समारोह सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने और कार्यों में सफल होने के लिए किए जाते हैं, इसीलिए इन कार्यों में हर उस चीज को शामिल किया जाता है जो ना सिर्फ मन को प्रसन्न करती है बल्कि सफलता दिलाने में भी मदद करती है।

शास्त्रों में भी कहा गया है कि जिस स्थान पर साफ-सफाई के साथ ही सुगंध अच्छी होती है वहां देवताओं का वास होता है। सुगंध को पॉजिटिव एनर्जी से जोड़कर देखा जाता है।

ईश्वर से जोड़ने का मार्ग है सुगंध –

शास्त्रों में सुगंध के संबंध में कहा गया है कि "सुगंध हमें ईश्वर से जोड़ने की क्षमता रखती है, इसलिए पूजा को संपूर्ण करने में सुगंध बेहद आवश्यक होती है" कई धर्मों में सुगंध का नाता आत्मा को जीवंत करने के लिए माना गया है।

देवताओं को प्रसन्न करने के लिए होता है सुगंध का इस्तेमाल –

प्रकृति में मौजूद सुगंध फूलों, लकड़ियों और मसालों जैसे प्राकृतिक पदार्थों से आती है। ये सुगंध हमारे मानस को गहराई से प्रभावित करते हैं। वैदिक युग से ही धूप ने ऋषियों को ध्यान लगाने में मदद की है, प्राकृतिक इत्र भी आध्यात्मिक अनुष्ठानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। यही कारण है कि ईश्वर की आराधना और उनके स्नान में इत्र का इस्तेमाल किया जाता है। चंदन का धार्मिक पूजा में बहुत महत्व है क्योंकि सुगंध चारों दिशाओं में ईश्वकर का ध्यान करने में मदद करती है। ठीक इसी तरह से बहुत से देवताओं की पूजा सुगंधित गुलाब के फूल से की जाती है। ऐसा माना जाता है कि गुलाब के फूल से पूजा करने से देवताओं को प्रसन्न किया जा सकता है।

साधना करने में मदद करती है सुगंध –

विशेषज्ञों के अनुसार, “गुलाब और मोगरा में आत्मा के उत्थान की जन्मजात क्षमता होती है। इसलिए इन्हें हिंदुओं द्वारा धार्मिक कार्यों, समारोह और देवी-देवताओं की मूर्तियों को प्रसाद के रूप में पसंद किया जाता है। जबकि सिख भी गुरुद्वारों में रूमाला साहेब के लिए गुलाब पसंद करते हैं, मुसलमान मजमुआ चुनते हैं, सूफी संतों के मकबरों पर चादरों के लिए एक क्लासिक गुलाब और केवड़ा मिश्रण होता है।” बौद्ध भिक्षुओं, जैन साधुओं, ईसाई मनीषियों और सूफियों के लिए समान रूप से, सुगंध ने उनकी साधना में एक अभिन्न भूमिका निभाई है।

सुगंध का है वैज्ञानिक महत्व –

मनोचिकित्सक डॉ. गिरीश पटेल बताते हैं कि सुगंध से ब्रेन में एनग्राम नामक सर्किट उत्पन्न होता है। ये एनग्राम घटनाओं को मस्तिष्क में यादों के रूप स्टोर करता हैं। मनोचिकित्सक जेम्स जॉयस का कहना है कि, " प्रत्येक सुगंध के भीतर अस्पष्टीकृत अमृत भी है जो तुरंत आत्मा को विश्व से जोड़ता है!

सुगंध के लिए इस्तेमाल होती है अगरबत्ती और धूप -

प्राचीन फारस के पारसी लोग चंदन की लकड़ियों और लोबान राल को पवित्र मानते है। जबकि कई इस्लामिक और सूफी परंपराएं धूप या अगरबत्ती के साथ ही सुगंधित इत्र का इस्तेमाल करते हैं,अगरबत्ती भारतीय पारसी अनुष्ठान का अभिन्न हिस्सा है। अगरबत्ती और धूप का इस्तेमाल आज से ही नहीं बल्कि प्राचीन समय से होता है।

वायुमंडल को शुद्ध करने के लिए होता है सुगंध का इस्तेमाल -

चंदन पाउडर अपने शांत प्रभाव के लिए प्राचीन भारतीय अनुष्ठानों यानि धार्मिक कार्यों और समारोह का एक अभिनन हिस्सा रहा है। शास्त्रों के मुताबिक, कपूर, पुष्प और चंदन चीरा वायुमंडल को शुद्ध करते हैं और मन को अंदर की ओर केंद्रित करने में मदद करने वाली नसों को शांत करते हैं, इसकी गर्म सुगंध ऊर्जा के स्तर को बढ़ाती है, अवसाद और चिंता को दूर करती है। अगरबत्ती की कई आकर्षक सिंथेटिक किस्में हैं, जिन्हें सुगंध के लिए धार्मिेक कार्यों और समारोह में इस्तेमाल किया जाता है।

महा मृत्युंजय जाप में भी सुगंध का किया गया है जिक्र -

महा मृत्युंजय मंत्र में, सुप्रीम बीइंग को 'सुगंधम' या 'जीवन की सुगंध' के रूप में संबोधित किया गया है, इस प्रकार इसका अर्थ है सुगंध दिव्य और आध्यात्मिक कनेक्शन के स्वर्ग दूतों का उपहार है। प्राचीन तल्मूड में भी कहा गया है कि सुगंध शरीर को नहीं बल्कि आत्मा को आनंद प्रदान करता है।

सुगंध को लेकर कुछ पौराणिक मान्यताएं भी हैं - 

  • ऐसा माना जाता है कि जिस लड़की की शादी में अड़चने आ रही हों, उनके बेडरूम में यदि पीले फूलों जैसे गेंदे के फूल रखे जाएं तो अच्छे रिश्ते आते हैं। जिन लड़कियों का विवाह नहीं हो रहा यदि वे पीले सुगंधित फूलों से भगवान विष्णु़ की आराधना करती हैं तो उन्हें अच्छा वर मिलता है।
  • गुलाब को आधुनिक समाज में रोमांस के लिए जाना जाता है। गुलाब की खुशबू रिश्तों में महक भर देती है। गुलाब को प्रेम के साथ-साथ अमन और शांति का प्रतीक भी माना जाता है। गुलाब का इस्तेमाल ना सिर्फ रिश्ते में मिठास के लिए इस्तेमाल होता है बल्कि लक्ष्मी माता और दुर्गा माता को प्रसन्न करने के लिए भी किया जाता है।
  • सुगंध को लेकर ये भी मान्याताएं हैं कि यदि आपको जीवन में या व्यापार में सफलता नहीं मिल रही है तो आपको अपने कार्यालय में, कार्यालय के पूजा घर में और अपने घर में सुगंधित फूलों, अगरबत्‍ती, धूप, इत्र और देसी घी के दिए को रखना चाहिए। सुगंध से बिगड़े हुए काम बनने लगते हैं और जीवन में कामयाबी दस्तक देना शुरू कर देती है। जीवन में सात्विक और नैसर्गिक ऊर्जा पाने के लिए भी सुगंध का इस्तेमाल किया जाता है।