कहते हैं मनुष्य के जन्म के समय है उसका संपूर्ण जीवन का लेखा-जोखा तय कर दिया जाता है। परंतु ग्रहों की चाल भी उनके जीवन पर बहुत प्रभाव डालती है। मनुष्य अपने ग्रहों की दशा सुधारने के लिए बहुत कुछ करते हैं जैसे तंत्र मंत्र से प्रभावित अंगूठियां। उनमें से ही एक है लोहे की अंगूठी आज हम आपको बताएंगे कि लोहे की अंगूठी कैसे, कब और किस लिए पहननी चाहिए। लोहे की अंगूठी से आपके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है उसे पहनने का सही दिन और सही समय तथा सही विधि क्या है? इस बारे में पूरी जानकारी आज हम आपको अपनी इस पोस्ट के जरिए देने वाले हैं।
लोहे की अंगूठी का महत्व
ऐसा कहा जाता है कि लोहे से बनी वस्तुएं शनि महाराज को बेहद पसंद है। इसलिए जिस मनुष्य पर शनि महाराज की दशा लगी हुई हो और उनके जीवन में शनि महाराज की वजह से बेहद परेशानियां हो तो ऐसे लोगों को लोहे की अंगूठी शनि महाराज की कृपा से धारण करनी चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि शनिवार के दिन लोहे की कोई भी वस्तु खरीद कर घर में लाना शुभ होता है परंतु लोहे की अंगूठी बनवाकर पहनना शनिवार के दिन ही शुभ माना जाता है। मनुष्य के जीवन में शनिदेव की कृपा पाने के लिए लोहे की अंगूठी का बहुत अधिक महत्व है। स्वास्थ्य लाभ, धन लाभ, व्यापार लाभ आदि पाने के लिए कोई भी मनुष्य शनिवार के दिन यदि लोहे की अंगूठी धारण करता है तो उसके जीवन की सभी विपदाएं दूर हो जाती है।
लोहे की अंगूठी पहनने का सही तरीका
साधारण के घर के कामों के लिए लोहा शनिवार को खरीदना अशुभ माना जाता है। परंतु यदि आप शनिवार के दिन लोहे की अंगूठी बनवाकर विधिपूर्वक उसको धारण करेंगे तो वह आपके लिए फलदायक सिद्ध होती है। आप किसी भी लोहे की अंगूठी बनवाकर नहीं पहन सकते हैं इसके लिए आपको घोड़े की नाल( घोड़े के पैर के नीचे लगी हुई लोहे की नाल) की अंगूठी बनवाकर पहनेंगे तो वह आपके लिए शुभ और फलदायक होती है।
लोहे की अंगूठी बनवाने की विधि
यदि घोड़े की नाल निकलवाकर आप अंगूठी बनवाकर पहनेंगे तो वह आपके लिए फलदायक सिद्ध नहीं होती है। यदि कोई घोड़े की नाल स्वयं ही उसके पैर से निकल जाती है और आपको मिलती है तो उस घोड़े की नाल की अंगूठी आप बनवा सकते हैं वह आपके लिए शुभ मानी जाती है। उस घोड़े की नाल को गंगाजल और गोमूत्र से धोकर पवित्र करने के बाद रोली, चंदन, धूप आदि से शुद्ध किया जाता है। उसके बाद शनिवार के दिन उस नाल की अंगूठी बनवाकर उसकी पूजा करके 108 बर शनि मंत्र का जाप करने के बाद उसे अपने दाहिने हाथ की मध्यमा उंगली मतलब बीच की बड़ी उंगली में धारण कर ले। यदि अंगूठी को ऐसे ही पूरी विधि पूर्वक पहना जाए तभी यह फलदायक सिद्ध होती है।