April 10, 2019 Blog

मांगलिक कार्यों के लिए सर्वोत्तम हैं नवरात्र के दिन

BY : STARZSPEAK

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वैसे तो देवी मां की पूजा के लिए प्रत्येक दिन और हर एक क्षण ही श्रेष्ण है परंतु नवरात्रि के 9 दिन मां देवी की उपासना के लिए सर्वश्रेष्ण माने जाते हैं और विशेष महत्व रखते हैं. जगत के कल्याण के लिए मां दुर्गा की शक्ति ने अपने तेज को 9 अलग अलग रूपों में प्रकण किया जिन्हें हम नव-दुर्गा करते हैं. नवरात्री के 9 दिन मां दुर्गा के इन्ही 9 स्वरूपोम की उपासना की जाती है. जिसमें प्रत्येक दिन देवी के अलग अलग स्वरूप की पूजा होती है.


नवरात्र का समय ज्योतिषीय नजरिए से बेहद शुभ माना जाता है. मांगलिक कार्यों के लिए नवरात्र के 9 दिनों को सर्वोत्तम माना जाता है. किसी भी शुभ और नए काम की शुरुआत के लिए नवरात्र के नौ दिन बहुत अच्छे माने जाते हैं. बता दें, इस साल चैत्र नवरात्र 6 अप्रैल से शुरू होकर 14 अप्रैल तक रहेंगे. इस बार दुर्गा अष्टमी 13 अप्रैल और श्रीराम नौमी 14 अप्रैल को मनाई जाएगी.


ज्योतिषविद्वानों के मुताबिक नवरात्रों में सुबह 9 बजे से 10.30 तक राहु काल रहेगा. इस दौरान किसी भी प्रकार का शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. जानकारी के मुताबिक कन्या पूजन के लिए तीन से 10 वर्ष की आयु की कन्या का पूजन ही विशेष फलदायी माना जाता है.


नवरात्र में नींव पूजन, गृह प्रवेश, फैक्ट्री लगाना और नए वाहन खरीदने जैसे सभी कार्यों को करना शुभ माना जाता है. ज्योतिषविदों के अनुसार 6 अप्रैल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पहले नवरात्र वाले दिन सुबह 8 बजे से 9:30 बजे के बीच शुभ चौघड़िया मुहूर्त होगा और इसलिए छह अप्रैल को सुबह आठ बजे से साढ़े नौ बजे के बीच घट स्थापना के लिए श्रेष्ठ समय है.


इस वजह से 6 अप्रैल को सुबह आठ बजे से नौ बजे के बीच घट स्थापना के लिए श्रेष्ठ समय होगा. इसी के साथ वास्तु शास्त्र की दृष्टि से किसी भी धार्मिक या पूजा के कार्य के लिए ईशान कोण को ही सबसे अच्छा माना गया है. इसलिए अगर संभव हो तो नवरात्र में घट स्थापना अपने घर या पूजा स्थल के ईशान कोण की और करें इसके अलावा पूर्व और उत्तर दिशा में भी घट स्थापना कर सकते हैं.


चैत्र नवरात्र हिन्दू रीति रिवाज से ऋतु परिवर्तन के उत्सव के रूप में मनाए जाते हैं. इसी दिन से हिन्दू नवसंवत्सर 2076 भी शुरू हो रहा है. नवसंवत्सर का लोगों में विशेष महत्व माना जाता है. इसी दिन भगवान श्री राम और युधिष्ठिर का राज तिलक हुआ था. इसी दिन उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने भयंकर युद्ध में जीत प्राप्त कर जनता को अन्याय से राहत दिलाई थी. नवसंवत्सर एवं नवरात्र का योग शुभता लाता है. इस दिन पूजा अर्चना और दान का भी विशेष महत्व माना जाता है.


ये समय ज्योतिषीय नजरिए से भी बहुत शुभ होता है इसलिए अपने किसी भी शुभ या नए काम की शुरुआत करने के लिए नवरात्रि के नौ दिनों को बेहद ही शुभ और अच्छा मुहर्त माना जाता है. नीव पूजन, गृह प्रवेश, ऑफिस ओपनिंग, बिजनेस डील, फैक्ट्री लगाना और नए वाहन खरीदना जैसे सभी काम इन 9 दिनों में किए जा सकते हैं.


ऐसे मनाएं नवरात्रे


आप जिस भी प्रकास के पूजा उपासना करते हैं उसे श्रद्धा से, भाव से करें. उपवास रखें, प्रार्थना करें कि हे दुर्गेश्वरी, परम ज्ञान के पथ पर मैं भी अग्रसर हो सकूं.


प्राणायाम करें, आसन अभ्यास करें, मंत्रोच्चार करें, फिर शांत बैठकर निज दुर्गा स्वरूप का अनुसंधान करें. अगर आपका कोई गुरु नहीं और किसी सन्त में आपकी श्रद्धा नहीं है तो किसी भी सद्ग्रन्थ को आप अपना गुरु मान सकते हैं. यह रामचरितमानस हो सकता है, गीता हो सकती है या फिर कोई भी सद्ग्रन्थ हो सकता है. उस ग्रंथ को ही शांत मन से प्रणाम करें, मार्गदर्शन की प्रार्थना करें. अवश्य मिलेगा.


मानसिक रूप से अपने व्रत के फल का कुछ हिस्सा इस विश्व के, देश के कल्याण के लिए अर्पित करें.