दिशाओ के अनुसार घर की सजावट ,रख-रखाव एवं निर्माण
वास्तु में दिशाओ का भी अति महत्व है | घर में दिशा के अनुरूप सजावट एवं रख रखाव कर आप घर में खुशियां ला सकते है , आपको बस निम्न उपायों को प्रयोग में लाना है और वास्तुदोष दूर हो जायेगा |
पूर्व दिशा :- यह दिशा सकारात्मक एवं ऊर्जावान किरणों का भंडार है ,सूर्य हमें ऊर्जा प्रदान करता है | घर का प्रवेश द्वार पूर्व दिशा की ओर ही होना चाहिए ,घर में कार्यस्थल और अध्यन कक्ष पूर्व दिशा में हो तो अत्यंत फलदायी होते है |
पश्चिम दिशा :- इस दिशा में घर की सीढ़ियां होनी चाहियें , यदि सीढ़ियां पश्चिम से पूर्व की ओर मुड़ जाएँ तो और अधिक फलदायी होती है |
उत्तर दिशा :- वास्तु में उत्तर दिशा अनेक सुबह कार्यों के लिए अच्छी मानी गयी है जैसे विवाहित जोड़े का कमरा उत्तर दिशा में होने से विवाहित जीवन सुखी रहता है | इस दिशा में खिड़की दरवाजे बालकनी सुबह मानी गयी है | वास्तु के अनुसार उत्तर दिशा को तोड़ा ऊंचा रखने से सुबह परिणाम प्राप्त होते है |
दक्षिण दिशा :- दक्षिण दिशा में घर के भरी सामानो को रखने से अच्छे परिणाम प्राप्त होते है | उदाहरणतया घर की तिजोरी एवं अलमारी इस दिशा में रखने से धन में वृद्धि होती है | अपने आभूषण वगैरह भी आप इस दिशा में रख सकते है | इस दिशा में कुल स्थान नहीं होना चाहिए जैसे आँगन और शौचालय इस दिशा में नहीं होने चाहियें ऐसा करने से यह रोगो को आमंत्रण देता है और धनहानि होती है |
उत्तरपूर्व :- इस जगह में जल के संग्रहण की जगह बना सकते है | पुजस्थल भी इस दिशा में बना सकते है यह अत्यंतफलदायी माना गया है |
उत्तर-पश्चिम :- नवविवाहित जोड़े एवं घर के मुखिया का कक्ष इस दिशा में शुभ परिणाम देते है | यदि आपके पास की पालतू जानवर है तो उसके रहने का स्थान भी इसी दिशा में होना चाहिए |
दक्षिण पूर्व :- इसे आग्नेय अर्थात अग्नि प्रधान दिशा माना गया है | इस दिशा में अग्नि से सम्बंधित सामान और विध्युत उपकरण रखना उचित फलदायी होता है | अतः इस दिशा में रसोई घर होना चाहिए |
दक्षिण-पश्चिम :- इस दिशा को खुला न रक्खे , इस दिशा में आँगन , खिड़की और दरवाजे नहीं होने चाहियें |