December 1, 2018 Blog

जानिए पृथ्वी के 12 शिवलिंग कहां स्थापित है

BY : Dr. Sandeep Ahuja – Ayurvedic Practitioner & Wellness Writer

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By: Deepika Dwivedi

भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंग जिसे शिव लिंग भी कहा जाता है, इस धरती पर विराजमान है। पुराणों और वेदों अनुसार ऐसा कहा जाता है कि भगवान साक्षात् रूप से पृथ्वी पर 12 ज्योर्तिलिंगों के रूप में विद्यमान है। और ऐसा कहा जाता है कि जो भी प्राणी इन 12 ज्योर्तिलिंगो के दर्शन कर लेता है उस व्यक्ति के लिए मोक्ष के द्वार स्वत: ही खुल जाते है।

तो चलिए आपको बताते है कि इस धरती पर भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंग कौन-कौन से है और कहां-कहां पर स्थित है।


  1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग-

गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित सोमनाथ ज्योतिर्लिंग धरती का सबसे पहला ज्योर्तिलिंग माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना स्वंय चन्द्र देव ने की थी। इस कथा का उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है। इस ज्योर्तिलिंग के बारें में ऐसा भी कहा जाता है कि इसी अभी तक 17 बार नष्ट किया जा चुका है लेकिन प्रत्येक बार इसका पुनर्निमाण किया गया। इस ज्योर्तिलिंग की महिमा पृथ्वी पर सबसे अधिक महिमा बताई गई है।


  1. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग-

यह ज्योर्तिलिंग आंध्र प्रदेश मे कृष्णा नदी के तट पर श्री शैल नाम के पर्वत पर स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग मन्दिर का महत्व भगवान शिव के कैलाश पर्वत के समान बताया गया है। इस ज्योर्तिलिंग के दर्शन मात्र से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।


  1. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग-

यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन नगर में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता यह है कि ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहां की महिमा विश्व भर में प्रसिद्ध है और लोगों का  ऐसा मानना है कि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग ही उज्जैन की रक्षा कर रहे हैं।



  1. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग-

यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश में नर्मदा किनारे मान्धाता पर्वत पर स्थित है। बताया जाता है कि इनके दर्शन से पुरुषार्थ चतुष्टय की प्राप्ति होती है। यह ज्योतिर्लिंग औंकार अर्थात ऊं का आकार लिए हुए है, इस कारण इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है।


  1. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग-

यह ज्योतिर्लिंग हिमालय की केदारनाथ नामक चोटी पर स्थित है। यह अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों के तट पर स्थित है। बाबा केदारनाथ का मंदिर बद्रीनाथ के मार्ग में बना हुआ है। केदारनाथ का वर्णन स्कन्द पुराण और शिव पुराण में भी मिलता है।


  1. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग-

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे जिले में सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के विषय में मान्यता है कि जो भक्त श्रृद्धा से इस मंदिर के प्रतिदिन सुबह सूर्य निकलने के बाद दर्शन करता है, उसके सात जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं।


  1. विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग-

यह शिवलिंग काशी में बसा हुआ है। बताया जाता है कि हिमालय को छोड़कर भगवान शिव ने यहीं स्थायी निवास बनाया था। ऐसा कहा गया है कि प्रलय काल का इस नगरी में कोई असर नहीं पड़ता, इसलिए सभी धर्म स्थलों में काशी का अत्यधिक महत्व बताया गया है।


  1. त्रर्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग-

यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक से 30 किमी पश्चिम में गोदावरी नदी के करीब स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग के सबसे अधिक निकट ब्रह्मागिरि नाम का पर्वत है। इसी पर्वत से गोदावरी नदी शुरू होती है। भगवान शिव का एक नाम त्र्यंबकेश्वर भी है, इसलिए इस ज्योतिर्लिंग का नाम त्र्यंबकेश्वर पड़ गया।


  1. बैजनाथ ज्योतिर्लिंग-

बिहार के संथाल परगना के दुमका नामक जनपद में यह शिवलिंग है। कथाओं अनुसार ऐसा कहा जाता है कि रावण अपने तप के बल से शिवजी को लंका ले जा रहा था, लेकिन रास्ते में गणपति ने अपनी समझदारी से लंका पहुंचने में व्यवधान डाल दिया। फिर भगवान शिव जी यहीं स्थापित हो गए, और ये बैजनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध हो गये।


  1. रामेश्वर ज्योतिर्लिंग-

यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु राज्य के रामनाथ पुरं नामक स्थान में स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि लंका पर चढ़ाई से पहले भगवान राम ने शिवलिंग की स्थापना की थी। भगवान राम के द्वारा स्थापित होने के कारण ही इस ज्योतिर्लिंग को भगवान राम का नाम रामेश्वरम दिया गया है।


  1. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग-

गुजरात में द्वारकापुरी के पास नागेश्वर ज्योतिलिंग स्थित है। कहते हैं कि भगवान की इच्छानुसार ही इस ज्योतिलिंग का नामकरण किया गया है। बताया जाता है कि जो व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यहां दर्शनों के लिए आता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

  1. घृश्णेश्वर ज्योतिर्लिंग-

महाराष्ट्र राज्य में दौलताबाद से 12 मील दूर बेरुल गांव में इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की गई थी। इसे घृश्णेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। दूर-दूर से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं और आत्मिक शांति प्राप्त करते हैं।

Author: Dr. Sandeep Ahuja – Ayurvedic Practitioner & Wellness Writer

Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.