By: Deepika Dwivedi
हिन्दू धर्म में शास्त्रों के अनुसार ग्रह-नक्षत्र के बारे में कई बार सुना होगा। ग्रह के अलावा नक्षत्र भी हमारे जीवन पर असर डालते है। ग्रह को शान्त करने के लिए जैसे पूजा की जाती है वैसे ही नक्षत्रों को शान्त करने के लिए भी विशेष पूजा की जाती है।
शास्त्रों अनुसार कई प्रकार के नक्षत्र होते है। अश्विनी, भरणी , कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्दा, पुनवर्सु, पुष्य, अश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, चित्रा, हस्त, अनुराधा, धनिष्ठा, उत्तराषाढ़ , पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद,रेवती,ज्येष्ठा,विशाखा, मूल, शतभिषा और स्वाति आदि नक्षत्रों का मानव जीवन पर बेहद ही गहरा प्रभाव पड़ता है।
वैसे इनमें से 27 नक्षत्र ऐसे है जो मानव जीवन पर गहरा असर डालते है। और कोई अच्छा असर भी डालता है तो कोई बेहद ही भयानक परिस्थिति खड़ा कर सकता है। कुछ ऐसे नक्षत्र होते है जो मानव जीवन पर गहरा बुरा प्रभाव डालते है तो चलिए आपकों बताते है कि वे कौनसे नक्षत्र है और उनकी शान्ति के लिए किस प्रकार से पूजा करनी चाहिए।
वैदिक काल से ज्योतिष अनुसार यह माना जा जाता है कि अश्विनी, अश्लेषा, मघा. ज्येष्ठा,मूल, रेवती इन नक्षत्रों में किसी एक में भी जब कोई बालक जन्म लेता है तो गंडमूलक नक्षत्र बनता है।और इससे इस गंडमूलक नक्षत्र का दोष लगता है जातक पर पूरे जीवन भर। इस गंडमूलक नक्षत्र के दोष को हटाने के लिए विशेष पूजा की जाती है। गंडमूलदोष का निवारण के लिए प्रत्येक जातक के लिए एक ही पूजा या एक मंत्रों से पूजा नहीं होती है। इसके लिए अलग- अलग जातकों की राशि के अनुसार अलग-अलग पूजा होती है। जातक के नक्षत्रों की शान्ति के लिए पूजा का फैसला जातक का जन्म नक्षत्र या जातक के जन्म समय की चन्द्रमा की स्थिति वाले नक्षत्र को देख कर तय किया जाता है।
गंडमूलक नक्षत्र को शान्त करने के लिए पूजा-
कुछ ज्योतिषि अनुसार इस पूजा से सम्बन्धित 11 हज़ार बार पूजा की जाती है। और इस गंडमूलक नक्षत्र की पूजा करने के लिए 27 अलग-2 जगहों पर पानी भरकर, 27 विभिन्न पेड़ों की पत्तियां इक्कट्टी की जाती है और हवन किया जाता है। पूजा के बाद 27 ही ब्राह्मणों को भोजन करवा कर दक्षिणा दी जाती है।
गंड मूल नक्षत्र के शान्ति मंत्र-
अश्विनी नक्षत्र मंत्र- ॐ अश्विनातेजसाचक्षु: प्राणेन सरस्वतीवीर्यम। वाचेन्द्रोबलेनेंद्राय दधुरिन्द्रियम्। ॐ अश्विनी कुमाराभ्यां नम:।। इस मंत्र का जाप 5,000 बार करना चाहिए।
अश्लेषा नक्षत्र मंत्र- ॐ नमोस्तु सप्र्पेभ्यो ये के च पृथिवी मनु: ये अन्तरिक्षे ये दिवितेभ्य: स्प्र्पेभयो नम:।। ॐ सप्र्पेभ्यो नम:।। इस मंत्र का जाप 10,000 बार करना चाहिए।
ज्येष्ठा नक्षत्र मंत्र- ऊं त्रातारमिन्द्रमवितारमिन्द्र हवे हवे सुह्न शूरमिन्द्रम् हृयामि शुक्रं पुरुहूंतमिन्द्र स्वस्तिनो मधवा धाक्षित्वद्र:।। ॐ शक्राय नम:।। इस मंत्र का जाप 5,000 बार करना चाहिए।
मूल राक्षस मंत्र- ॐ मातेव पुत्र पृथिवी पुरीष्यमणि स्वेयोनावभारुषा। तां विश्वेदेवर्ऋतुभि: संवदान: प्रजापतिविश्वकर्मा विमुच्चतु।। ॐ निर्ऋतये नम:।। इस मंत्र का जाप भी 5,000 बार करना चाहिए।
रेवती नक्षत्र मंत्र - ॐ पूषन् तवव्रते वयं नरिष्येम कदाचन स्तोतारस्त इहस्मसि।। ॐ पूष्णे नम:। इसका भी जाप 5,000 की संख्या तक करें।
मघा नक्षत्र मंत्र - ॐ पितृभ्य: स्वाधयिभ्य: स्वधानम: पितामहेभ्य स्वधायिभ्य: स्वधा नम:। प्रपितामहेभ्य: स्वधा नम: अक्षन्नापित्रोमीमदन्त पितरोऽतीतृपन्तपितर: पितर: शुन्धध्वम्।। ॐ पितृभ्यो नम:/पितराय नम:।। इस मंत्र का जाप 10,000 बार करना चाहिए।
इन सभी नक्षत्रों के अलग –अलग मंत्र के जाप है और अलग- अलग पूजा करने की विधी होती है जिससे इन षट् नक्षत्रों से बना गंडमूलक नक्षत्र के शान्ति के लिए पूजा की जाती है। लेकिन यह ध्यान रहें कि इन पूजा को किसी विद्वता यानि जिसें ज्ञानी पंडित को ग्रह-नक्षत्रों का ज्ञान होने के साथ-साथ मंत्रों का भी पूरी तरह ज्ञान हो उस पंडित से ही नक्षत्र शान्ति पूजा करवानी चाहिए। अन्यथा आपकी पूजा असफल भी हो सकती है और गंडमूल नक्षत्र का दोष पूरे जीवन भर आप पर बुरा प्रभाव ड़ाल सकता है।
Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.