July 7, 2020 Blog

क्यों मनाई जाती है हरियाली तीज?

BY : STARZSPEAK

हरियाली तीज हिन्दू धर्म में प्रचलित व्रतों में से एक महत्वपूर्ण व्रत है | इस व्रत को स्त्रियाँ अपने पति की की सुख समृद्धि और लम्बी आयु के लिए रखती है | हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है की जो स्त्री इस व्रत को करती है उसे जन्म जन्मांतर का वैधव्य और अन्य दुखो का सामना नहीं करना पड़ता | किन्तु जो स्त्री इस व्रत को नहीं करती वह भौतिक सुखो से वंचित को संसार में अकेली होकर दुःख भोगती है | अविवाहित लड़किया भी इस व्रत को मनचाहे जीवनसाथी को पाने के लिए रख सकती है |

      हरियाली तीज श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है | इस बार यह व्रत 3 अगस्त को पड़ रहा है | पूर्व और मध्य भारत में यह व्रत बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है | इस व्रत का प्रारम्भ माता पार्वती की कथा से जुड़ा है | पुराणों के अनुसार इस दिन माता पार्वती को कठोर तप के पश्चात अपने आराध्य भगवान शिव के दर्शन प्राप्त हुए थे |इस व्रत को करने से निःसंतान दम्पति को पुत्र की प्राप्ति होती है और वैवाहिक जीवन सुखी एवं सम्पन्न  होता है |

पूजन विधि -
इस दिन स्त्रियाँ भगवान शिव, माता पार्वती एवं श्री  गणेश जी की मिटटी की प्रतिमा बना कर उसका पूजन सायकल में  करती है | संध्याकाल के समय स्त्रियाँ नहा धो कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर  सर्वप्रथम माता पार्वती को फूल फल एवं जल आदि से पूजन कर श्रंगार का सामान अर्पित करना चाहिए | तत्पश्चात वस्त्र एवं भोग अर्पण करना चाहिए | इन वस्तुओं का दान किसी जरूरतमंद व्यक्ति को करना चाहिए | अंत में कथा का श्रवण कर आरती करे |तीनो का पूजन करने के पश्चात सम्पूर्ण रात्रि जाग कर माता का ध्यान एवं भजन करना चाहिए | प्रातः पुनः भोग एवं आरती कर तीनो मूर्तियों का विसर्जन किसी धारा में करना चाहिए | धारा का अर्थ होता है बहता हुआ जल |

इस दिन नहीं करने चाहिए ये काम -

1 - इस दिन किसी की बुराई ना करे |
2 - इस दिन रात्रि में सोना वर्जित होता है |
3 - इस दिन प्रदोष कल अर्थात सांयकाल में ही पूजन किया जाता है |
4 - किसी भी व्रत या शुभ कार्य में हिन्दू मान्यताओं के अनुसार कला या श्वेत रंग धारण नहीं करना चाहिए | विशेषकर विवाहित स्त्रियों को |
5 - यह व्रत में  अन्न एवं जल दोनों का हो परित्याग किया जाता है | एक दिन और एक रात्रि तक बिना अन्न एवं जल के यह व्रत सम्पूर्ण होता है |
6 - किसी भी व्रत को उसकी कथा के बिना पूर्ण नहीं माना जाता अतः कथा का श्रवण अवश्य करे |
7 - विवाहित स्त्रियों को सम्पूर्ण श्रंगार करके ही पूजन करना चाहिए |