जानिये “कहां राजा भोज और कहाँ गंगू तेली” के पीछे की कहानी!
BY : Dr. Sandeep Ahuja – Ayurvedic Practitioner & Wellness Writer
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By: Sonu Sharma
अक्सर आप लोगो ने यह कहावत सुनी होगी - "कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली", ज़्यादातर इस कहावत का इस्तेमाल किसी पर तंज कसने के लिए किया जाता हैं ।ये कहावत बहुत लोकप्रिय है लेकिनशायद ही कोई इस कहावत के पीछे की सत्यता को जानता है ? इस कहानी के पीछे के सच बहुत ही दिलचस्प और मजेदार है । जानते है आखिर क्यों एक अमीर एक गरीब पर तंज कसने के लिए इसकहावत का इस्तेमाल करता है -
मध्यप्रदेश में स्थित भोपाल से करीब ढ़ाई सौ किलोमीटर दूर “धारानगरी” नामक एक जिला है और जिस राजा ने इस जिले को बसाया था उनका नाम राजा भोज था । राजा भोज बहुत दयालु थे औरउनकी बहुमुखी प्रतिभा की चर्चा और प्रशंसा दूर दूर थी । बड़े बड़े विद्वान्, राजा महाराजा और यहाँ तक की देश के बाहर भी उनके प्रशंसकों की कमी नहीं थी ।
राजा भोज ने 11वींसदीमें बहुत से मंदिरों का निर्माण करवाया था और उन्होंने भोजशाला का भी निर्माण करवाया था, भोजशाला में उन्होंने सरस्वती जी की प्रतिमा भी बनवाई थी । जिन गंगू तेली कानाम राजा भोज के साथ लिया जाता है वो “गांगेय तैलंग” हैं; गांगेय कलचुरि नरेश और चालुका नरेश तैलय, ये दोनों दक्षिण के राजा थे और इन्होने मिलकर राजा भोज की धारानगरी पर आक्रमणकिया था लेकिन दोनों मिलकर भी राजा भोज को नहीं हरा पाए थे और इन्हे मुंह की खानी पड़ी थी । इसी कारण इनकी हसी उड़ाई जाती थी कि "कहां राजा भोज कहां गांगेय तैलंग” कहा जाता था और ये कहावत आज के समय में “कहां राजा भोज कहां गंगू तेली“ के रूप में प्रसिद्ध है ।
Author: Dr. Sandeep Ahuja – Ayurvedic Practitioner & Wellness Writer
Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.