जानिये भारत के ज्ञान भंडार से निकले नाड़ी ज्योतिष के रहस्य को!
BY : Dr. Sandeep Ahuja – Ayurvedic Practitioner & Wellness Writer
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लेखिका : रजनीशा शर्मा
" मेरा भारत महान" यह उक्ति केवल उक्ति नहीं है यह मेरे देश भारत की प्रमुख विशेषता है | हम स्वयं ही अपने देश के गौरव और उसकी अमिट संस्कृति को मिटाते जा रहे है | एक समय में भारत विश्व गुरु था | विश्व में व्याप्त आधुनिक ज्ञान की जड़े भारत में ही स्थित है | विश्व के हर कोने से लोग यह आकर ज्ञानार्जन करते और अपने देश लौट कर उसका प्रचार प्रसार करते | इस प्रकार भारत के ज्योतिष , शल्य चिकित्सा , शरीर वज्ञान , आयुर्वेद , विमान ,गणितीय ज्ञान , खगोल विज्ञान , नाड़ी से रोग का ज्ञान आदि ऐसे दुर्लभ ज्ञान विज्ञान भारत में विकसित हुए जो आज विलुप्त होते जा रहे है | संसार की आधुनिक की नीव भारत में ही विकसित हुई | जो वैज्ञानिक आज प्रयोगो के माध्यम से सत्य साबित कर रहे है वो भारतीय 10 हजार सालो से जानते और मानते आये है उदाहरण दक्षिण में पेअर करके ना सोना इसे अब विज्ञानं भी मानता है | पृथ्वी गोल है और अपनी धुरी पर घूमती है अंतरिक्ष में नवग्रह है जिन्हे हम प्राचीन काल से ही पूजते है | यदि मैं भारत के ज्ञान और विज्ञान की बात करूँ तो समय कभी भी पर्याप्त नहीं हो पायेगा |
भारत में ऐसा ही एक ज्ञान विकसित हुआ जिसे नाड़ी ज्योतिष कहते है | प्राचीन ग्रंथो में वर्णित है की कई ऋषि मुनियो ने इस विधा का अध्ययन किया और अपनी अपनी बुद्धि के अनुसार उसे संग्रहित किया | इस विधा में अंगूठे की छाप को देख कर प्राचीन समय में लिखे और संरक्षित किये गए ताम्रपत्रों की सहायता से मनुष्य के अतीत ,वर्तमान और भविष्य की सही सही व्याख्या की जा सकती है | भगवान शंकर की नगरी काशी में प्रत्येक व्यक्ति की पूरी जन्म कुंडली आसानी से ज्ञात की जा सकती है वह आज भी यह विधा प्रचलित है वह के पंडितो ने इन ताम्रपत्रों को आअज भी संभाल कर रखा है | वैज्ञानिक यह देख कर हैरान रह गए की इतनी पुराणी लिखी गयी स्याही आज भी वैसी ही जीवंत कैसे है | इसमें लकड़ी के बने पत्रों पर खुदाई कर लिखा जाता था, फिर उसे स्याही से उकेर कर उस पर मोर के तेल से उसे संरक्षित किया जाता था | जो आज भी वैसे ही संरक्षित है जैसे अभी ही लिखा गया हो | इस विधा को हमारे ऋषियों ने प्राचीन तमिल एवं संस्कृत भाषा में लिखा है दक्षिण के ऋषियों ने इस विधा को वह के लोगो के लिए आसान बनाने के लिए वह की ही भाषा में इसे लिखा | हमारे ऋषि मुनि अपने तपोबल से भविष्य को स्पष्ट देख और सुन सकते थे इसी कारण वर्तमान में मनुष्यो के दुखो के निवारण हेतु उन्होंने इस विधा को विकसित कर इसे लिख कर संरक्षित किया | इस विधा से पूर्व जन्म के पापो को जान कर उससे होने वाले दुखो का निवारण किया जा सकता है |
इस विधा में मुष्यों के अंगूठे पर बनी रेखाओ का अध्ययन किया जाता है | स्त्रियों के बाए हाथ के अंगूठे का और पुरूषो के दाए हाथ के अंगूठे का अध्ययन किया जाता है | अंगूंठे पर लगभग 108 रेखाएं मानी गयी है | इनका प्राचीन ताड़पत्रों के आधार पर आकलन किया जाता है | अंगूठे पर स्थित चिन्हो का भी भविष्य कथन में विशेष महत्व है | इन ताड़पत्रों की सहायता से अपने मन में उठने वाले प्रश्नो के सही उत्तर भी प्राप्त किये जा सकते है | नाड़ी ज्योतिष में बच्चे , जन्म ,कर्म , समृद्धि , व्यापार में उन्नति , अगले जन्म और मोक्ष के बारे में भी जाना जा सकता है | दक्षिण भारत में मुख्यतः नंदी नाड़ी ज्योतिष अधिक प्रचलित और लोकप्रिय है | नंदी नाड़ी ज्योतिष में 16 भाव माने गए है | नंदी नाड़ी ज्योतिष में निश्चित समय पर घटित होने वाली घटनाओ के विषय में जाना जा सकता है | नंदी नाड़ी ज्योतिष में विशवास को अधिक महत्व दिया गया है इस ज्योतिष पर पूर्ण विश्वास होने पर ही आपको इससे अपने भविष्य जानना चाहिए | यदि ग्रहो की पीड़ा निदान आप इस विधि से जानते है और उन उपायों को नहीं करते तो ग्रहो की पीड़ा बढ़ जाती है |
नाड़ी ज्योतिष में सभी भावो का विश्लेषण निम्न फलादेशो के अंतर्गत किया जाता है -
प्रथम भाव से शरीर एवं उसके स्वास्थ्य की जानकारी प्राप्त होती है | इसी भाव से अन्य भावो का संक्षिप्त विवरण भी प्राप्त किया जा सकता है | दूसरे भाव से धन , परिवार , शिक्षा की जानकारी मिलती है | तृतीय भाव पराक्रम और भाई बांधवो का सूचक है | चतुर्थ भाव अचल सम्पत्ति , समृद्धि एवं मात्र सुख का सूचक है | पंचम भाव संतान सुख की व्याख्या करता है | छठे भाव से रोग एवं शत्रु की व्याख्या की जा सकती है | सप्तम भाव विवाह एवं जीवन साथी का घर होता है | अष्टम भाव आपकी आयु , संकट एवं दुर्घटना की जानकारी उपलब्ध करता है | नवम भाव धर्म , पिता , पूर्वज एवं भाग्य को दर्शाता है | दशम भाव व्यापार एवं धनार्जन के माध्यम की व्याख्या करता है | ग्यारहवे भाव से दूसरे विवाह की जानकारी प्राप्त होती है | द्वादश भाव व्यय , मोक्ष एवं पुनर्जन्म की भविष्यवाणी करता है |
नंदी जो ज्योतिष में 16 भाव माने गए है ये क्रमशः पूर्व जन्म एवं उनसे होने वाले कष्टों के निदान के विषय में बताता है | 14 वः भाव शत्रु से बचाव कैसे करे इसके उपाय बताता है | 15 वः भाव रोग एवं निदान की जानकारी देता है | एवं अंतिम भाव अर्थात १६ वः भाव ग्रहो की चाल , अंतर्दशा एवं महादशा में मिलने वाले परिणाम की व्याख्या करता है |
Author: Dr. Sandeep Ahuja – Ayurvedic Practitioner & Wellness Writer
Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.