December 14, 2023 Blog

Mokshada Ekadashi 2023: मोक्षदा एकादशी व्रत से 2023 की आखिरी एकादशी का महत्व और कथा जानें

BY : STARZSPEAK

स्वयं श्रीकृष्ण ने मार्गशीर्ष मास की मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) व्रत को बहुत प्रभावशाली माना है। इसके फलस्वरूप साधक के साथ-साथ पितरों को भी मोक्ष मिलता है। जानिए मोक्षदा एकादशी की कथा

Mokshada Ekadashi 2023: मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी को मोक्ष प्राप्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह एकादशी व्यक्ति को सांसारिक मोह-माया के बंधन से मुक्ति दिलाने वाली और पितरों को मोक्ष प्रदान करने वाली मानी जाती है। इस व्रत की महिमा से मनुष्य जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाता है।

मृत्यु के बाद उसे वैकुंठ धाम में स्थान मिलता है। इस साल मोक्षदा एकादशी 22 दिसंबर 2023 को है, इसी दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है. आइए जानते हैं मोक्षदा एकादशी की कथा और शुभ मुहूर्त.

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Mokshada Ekadashi

मोक्षदा एकादशी कथा (Mokshada Ekadashi Katha)

पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) के दिन भगवान विष्णु की पूजा श्री दामोदर रूप में की जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार चंपा नगर पर राजा वैखानस का शासन था। राजा अपनी प्रजा का अपने बच्चों की तरह ख्याल रखता था। नगर के लोग राजा की प्रजा को मिलने वाली न्याय व्यवस्था से बहुत खुश थे। एक रात राजा ने स्वप्न में देखा कि उसके पूर्वज नरक में यातना भोग रहे हैं। अपने पूर्वजों की स्थिति जानकर उन्हें बहुत दुःख हुआ। सुबह होते ही उसने राज्य पुरोहित को बुलाया और अपने पितरों को मोक्ष दिलाने का उपाय पता किया।

पिछले जन्म के पाप के कारण मिला नरक

राजा की आंतरिक पीड़ा सुनकर ब्राह्मणों ने कहा कि इस समस्या का समाधान केवल पर्वत ऋषि ही कर सकते हैं। इसके बाद राजा वैखानस पर्वत ऋषि के आश्रम पहुंचे और नरक में कष्ट भोग रहे अपने पूर्वजों की मुक्ति का उपाय जानने का अनुरोध किया। पर्वत मुनि ने बताया कि उनके पूर्वजों की यह दुर्दशा उनके पूर्व जन्म में किये गये पापों के कारण है। पिछले जन्म में उसने अपनी पत्नियों के साथ भेदभाव किया था। अपनी बड़ी रानी की सलाह मानकर राजा के पिता ने अपनी दूसरी पत्नी के मांगने पर उसे ऋतुदान नहीं दिया। उस पापकर्म के फलस्वरूप तुम्हारे पिता नरक में गये हैं।

मोक्ष का मार्ग होता है सुलभ

राजा ने पर्वत मुनि से पूछा कि कृपया मेरे पिता की मुक्ति का कोई उपाय बताएं। तब ऋषि ने कहा, मार्गशीर्ष मास (Mokshada Ekadashi) के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी को श्री हरि विष्णु का विधिपूर्वक व्रत करो और दान करो। इस व्रत के प्रभाव से पितरों को नरक से मुक्ति मिल जाएगी। मोक्षदा एकादशी के दिन राजा ने ऋषि की सलाह के अनुसार सभी अनुष्ठानों का पालन किया, जिसके परिणामस्वरूप उनके पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त हुआ और उन्हें जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिल गई। तभी से यह व्रत चिंतामणि के समान मोक्ष प्रदान करने वाला है।

मोक्षदा एकादशी 2023 मुहूर्त (Mokshada Ekadashi 2023 Time)
  • विष्णु जी की पूजा का समय - सुबह 08.27 - सुबह 11.02
  • व्रत पारण समय - 23 दिसंबर 2023 को दोपहर 01.22 से दोपहर 03.25 तक

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