November 10, 2023 Blog

Bhanu Saptami 2023: कार्तिक महीने में कब है भानु सप्तमी? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व

BY : STARZSPEAK

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 19 नवंबर को सुबह 07 बजकर 23 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 20 नवंबर को सुबह 05 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगी। अतः 19 नवंबर को भानु सप्तमी मनाई जाएगी। इस दिन लोक आस्था का महापर्व छठ है। यह पर्व बिहार और उत्तर प्रदेश के पूर्वी भागों में मनाया जाता है।

Bhanu Saptami 2023: हर महीने शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को भानु सप्तमी मनाई जाती है। तदनुसार, कार्तिक महीने में 19 नवंबर को भानु सप्तमी है। इसे रथ सप्तमी और अचला सप्तमी भी कहा जाता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही पूजा, जप-तप और दान किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि सूर्य देव की उपासना करने से साधक को करियर और कारोबार में मन मुताबिक सफलता मिलती है। साथ ही शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। अगर आप भी सूर्य देव का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो भानु सप्तमी पर विधि-विधान से सूर्य देव की पूजा-उपासना करें। आइए, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व जानते है-

bhanu saptami 2023
शुभ मुहूर्त / Bhanu Saptami 2023

पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 19 नवंबर को सुबह 07 बजकर 23 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 20 नवंबर को सुबह 05 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगी। अतः 19 नवंबर को भानु सप्तमी मनाई जाएगी। इस दिन लोक आस्था का महापर्व छठ है। यह पर्व बिहार और उत्तर प्रदेश के पूर्वी भागों में मनाया जाता है।

पूजा विधि / Bhanu Saptami 2023

भानु सप्तमी के दिन भगवान सूर्य की उपासना की जाती है। इस दिन ब्रह्म बेला में उठें। घर की साफ-सफाई करें। दैनिक कार्यों से निवृत होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अगर सुविधा है, तो पवित्र नदी में स्नान करें। इस समय आचमन कर स्वयं को शुद्ध करें। साथ ही पीले रंग का वस्त्र धारण करें। इसके पश्चात, सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इस समय सूर्य मंत्र का जाप करें-

एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते ।
अनुकम्पय मां देवी गृहाणा‌र्घ्यं दिवाकर।।
 
ॐ भूर्भुवः स्वःतत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्यः धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥

इसी समय बहती जलधारा में काले तिल प्रवाहित करें। इसके बाद पंचोपचार कर विधिवत सूर्य देव की पूजा अर्चना करें। पूजा के समय सूर्य चालीसा (Surya Chalisa) और सूर्य कवच (Surya Kavach) का पाठ करें। साथ ही भगवान सूर्य को पीले रंग का फूल, फूल और तिल, जौ अर्पित करें। अंत में आरती कर सुख-समृद्धि की कामना करें। सूर्य देव की कृपा पाने के लिए पूजा के अंत में आर्थिक स्थिति के अनुसार दान करें।

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