Maha Kumbh Hai Bhajan Lyrics: हर 12 वर्षों में आयोजित होने वाला महाकुंभ, आस्था, भक्ति और दिव्यता का ऐसा पर्व है, जिसका इंतजार करोड़ों श्रद्धालु करते हैं। महाकुंभ 2025 (Maha Kumbh 2025) प्रयागराज के पावन त्रिवेणी संगम पर हो रहा है, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम भक्तों के लिए मोक्ष का द्वार बन जाता है। इस अलौकिक अवसर पर Kailash Kher का "महाकुंभ है"(Maha Kumbh Hai) Bhajan Lyrics विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
कैलाश खेर के इस भजन में महाकुंभ की महिमा, शिव की कृपा और गंगा माँ की महत्ता का अद्भुत वर्णन किया गया है। "महाकुंभ है भजन" सिर्फ गीत नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं के दिलों में उमड़ने वाले भावों की एक झलक है। यह भजन हर उस श्रद्धालु को प्रेरित करता है, जो इस दिव्य आयोजन में शामिल होकर अपनी आत्मा को पवित्र करना चाहता है।
महाकुंभ 2025 (Maha Kumbh 2025) के इस महापर्व में जहां संत, साधु, और योगी संगम में डुबकी लगा रहे हैं, वहीं Kailash Kher Bhajan इस आयोजन की आत्मा को जीवंत कर रहा है। "महाकुंभ है भजन" न केवल शिव भक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह हर श्रद्धालु को इस पर्व के महत्व को महसूस कराने का माध्यम भी है।
यह भी पढ़ें: आध्यात्मिकता और परंपरा का संगम: MahaKumbh 2025 में क्या है खास
॥ महाकुंभ है भजन ॥
॥ Maha Kumbh Hai Bhajan Lyrics ॥
ॐ नमो गंगायै विश्वरुपणी नारायणी नमो नमः
महाकुंभ है, महाकुंभ है
महाकुंभ है, महाकुंभ है
कण-कण शिव शिव शंभू शिव शंभू है।
अर्थ:
इस पंक्ति में माँ गंगा को नमन करते हुए उनकी महिमा का वर्णन किया गया है। माँ गंगा को ब्रह्मांड का स्वरूप और नारायणी (भगवान विष्णु का अवतार) कहा गया है। यह महाकुंभ का आयोजन भगवान शिव की कृपा और शक्ति से भरा हुआ है, जहाँ हर कण में शिव का वास है।
12 वर्ष के बाद जो आया महापर्व है
वसुंधरा पर अमृत लाया महापर्व है।
भक्त जनों में झूम के गया महापर्व है
संतों ने जय घोष लगाया महापर्व है।
अर्थ:
हर 12 वर्षों में आने वाला यह महापर्व धरती पर अमृत के समान है, जो जीवन में शांति और पवित्रता लाता है। भक्तजन इस आयोजन में झूम उठते हैं और संत-महात्मा अपने जयघोष के साथ इसकी दिव्यता को और बढ़ाते हैं। यह पर्व सबके लिए भक्ति और आनंद का स्रोत है।
संचालित तो रूप स्वयं ही होता यह वह यंत्र है
देवगढ़ों को इस धरती पर देव मंत्र है।
चिट्ठी है ना तार है मेला यह अपार है
पुण्य का परिणाम है मोक्ष का यह द्वार है।
अर्थ:
महाकुंभ एक ऐसा दिव्य यंत्र है, जो स्वचालित रूप से चलता है और देवताओं का आशीर्वाद इस आयोजन में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। यह मेला इतना विशाल है कि किसी सूचना या निमंत्रण की आवश्यकता नहीं होती। यह पुण्य प्राप्ति का माध्यम है और मोक्ष का द्वार है, जहाँ आत्मा को शुद्धि मिलती है।
यह भी पढ़ें: Kumbh Mela 2025: कबसे शुरू है महाकुम्भ का मेला, जानें स्नान की मुख्य तिथियां
संत अखाड़े साधु योगी और तपस्वी
एक साथ सब लगा रहे संगम में डुबकी।
बाबा योगी बांट रहे तन मन को शुद्धी
एक जगह आ बैठी है भक्ति और शक्ति।
अर्थ:
महाकुंभ में सभी संत, साधु, योगी और तपस्वी संगम में स्नान कर अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं। बाबा और योगी यहाँ आकर भक्तों को शुद्धि का संदेश देते हैं। यह आयोजन भक्ति और शक्ति का अद्भुत संगम है, जहाँ भक्तों को अपनी आत्मा की दिव्यता को पहचानने का अवसर मिलता है।
महाकुंभ है, महाकुंभ है
महाकुंभ है, महाकुंभ है
धाम त्रिवेणी शंभू शंभू है
महाकुंभ है, महाकुंभ है।
अर्थ:
त्रिवेणी संगम, जहाँ गंगा, यमुना और सरस्वती नदियाँ मिलती हैं, यह आयोजन का केंद्र है। यह स्थान भगवान शिव का धाम है और उनकी कृपा से पवित्र माना जाता है। महाकुंभ इस स्थान को भक्ति और मोक्ष का प्रमुख केंद्र बना देता है।
यदि आप इस महापर्व महाकुंभ 2025(Maha Kumbh 2025) का हिस्सा नहीं बन पाए हैं, तो कैलाश खेर (Kailash Kher) के इस भजन को सुनकर महाकुंभ की दिव्यता का अनुभव कर सकते हैं। यह भजन आपको इस आयोजन की पवित्रता और भक्ति के सागर में डुबकी लगाने का अहसास कराएगा। महाकुंभ है Bhajan Lyrics और कैलाश खेर भजन को सुनना, मानो त्रिवेणी संगम की पुण्यता को अपने भीतर महसूस करना है।
यह भी पढ़ें: Mahakumbh Mela 2025 : How to reach Prayagraj Maha Kumbh Mela 2025