हिंदू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र नवरात्रि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है और नवमी तिथि के साथ समाप्त होती है। चैत्र नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही प्रिय वस्तुएं भी अर्पित की जाती हैं। आइए जानते हैं किस दिन प्रसाद में क्या शामिल करना चाहिए।
चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित है। इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा के दौरान गाय के घी से बना हलवा और रबड़ी का भोग लगा सकते हैं.
चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने की परंपरा है। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी को भोग में चीनी और पंचामृत शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि इस चीज को चढ़ाने से साधक को अच्छी सेहत के साथ लंबी उम्र का आशीर्वाद भी मिलता है।
चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित है। इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करें और उन्हें दूध से बनी चीजों का भोग लगाएं। ऐसा करने से साधक को आर्थिक लाभ मिलता है।
चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है। मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाना फलदायी माना जाता है। इससे साधक को मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पांचवें दिन मां स्कंदमाता को केले का भोग लगाने की परंपरा है। इससे व्यक्ति के व्यापार और करियर में उन्नति होती है और हर काम बनने लगता है।
छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। इस दिन मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाना सर्वोत्तम माना जाता है। इससे व्यक्ति को धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
सातवां दिन मां कालरात्रि को समर्पित है। इस दिन सुबह पूजा के बाद मां कालरात्रि को गुड़ से बनी चीजों का भोग लगाएं। इससे साधक रोगमुक्त हो जाता है।
चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी को नारियल का भोग लगाना चाहिए। इससे साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
चैत्र नवरात्रि के (Chaitra Navratri) आखिरी दिन यानी नौवें दिन आप मां सिद्धिदात्री को पूड़ी, खीर या हलवे का भोग लगा सकते हैं. मान्यता है कि इन चीजों को अर्पित करने से साधक पर मां की कृपा सदैव बनी रहती है।
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