हाल ही में काल भैरव अष्टमी मनाई गई. काल भैरव यानि शिव जी का एक अन्य अवतार. काल भैरव को भैरवनाथ जी के नाम से भी जाना जाता है. मां वैष्णोंम के दरबार में इनकी पूजा ज़रूर की जाती है. ऐसा माना जाता है जो भी भक्त मां वैष्णों की पूजा के बाद काल भैरव की पूजा नहीं करता उनकी पूजा अधूरी रह जाती है. आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन काल भैरव जी को खुश करने के लिए भोग स्वरूप मदिरा चढ़ाई जाती है. चलिए जानते हैं आखिर काल भैरव जी को मदिरा का सेवन क्यों करवाया जाता है.
ऐसा माना जाता है कि काल भैरव अष्टमी के दिन भगवान शिवजी ने वैष्णों मां की रक्षा करने हेतु काल भैरव के रूप में अवतार लिया था| शिवजी के इस अवतार के आते ही भय बनाने के लिए इन्होंने भयानक आवाजें निकाली थीं. इसीलिए इनको भैरव के नाम से जानते हैं. काल भैरव को वैष्णों मां का रक्षक भी कहा जाता है|
क्यों चढ़ाई जाती है मदिरा –
पुराणों के मुताबिक, भैरव जी हमेशा युद्ध के मैदान में ही रहते हैं. वे हमेशा असुरों से युद्ध करते रहते हैं. युद्ध के मैदान में खाने-पीने की पर्याप्त चीजें उपलब्ध नहीं होती हैं. ऐसे में उन्हें प्रसन्न करने के लिए तामसिक चीजों का भोग लगाया जाता है. मदिरा तामसिक चीजों में सर्वोपरि है. मदिरा के अलावा भैरव जी को प्रसन्न करने के लिए तेल, राख और सिंदुर भी अर्पित किया जाता है. काल भैरव के बारे में कहा जाता है कि शिवजी का ये अवतार रात के समय प्रकट हुआ था. इसीलिए विशेष तौर पर इनकी रात में पूजा की जाती है. शिवजी के इस स्वरूप को नकारात्मकता का नाश करने के उप-लक्ष्य में भी जाना जाता है. इतना ही नहीं, ऐसा कहते हैं काल भैरव शमशान में वास करते हैं. इसीलिए असुरों को भगाने के लिए ऐसी जगहों पर ही टोटके किए जाते हैं.
काल भैरव को मदिरा अर्पण करने के पीछे ये भी कहा जाता है कि आप अपने जीवन की सभी बुराईंया, नशे की लत की आदतों और तामसिक चीजों को भगवान को अर्पण कर रहे हैं ताकि आप अपने पापों से मुक्त हो सकें. बहुत से लोग काल भैरव को मदिरा अर्पण करके नशा ना करने का भी संकल्प लेते हैं. इतना ही नहीं, मदिरा को भोग लगाने के बाद प्रसाद स्वरूप भी बाँटा जाता है. खासतौर पर कालाष्टमी के दिन.
जैसे हर देवी-देवता का वाहन होता है. वैसे ही कालभैरव का वाहन कुत्ता है. काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए आप कुत्तों की सेवा कर सकते हैं. सुबह-शाम कुत्तों को रोटी खिला सकते हैं. साथ ही आप जीवन में प्रण लें कि आप कभी भी कुत्तों या अन्य- जानवरों को तंग नहीं करेंगे. इससे काल भैरव प्रसन्न होते हैं. यदि आप कुत्ते या अन्य जीव को दुखी करते हैं तो काल भैरव नाराज़ हो सकते हैं और आपके द्वारा की गई पूजा असफल हो सकती हैं. काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए आप मदिरा के अलावा पूजा करने के लिए सरसों के तेल का दीपक भी जला सकते हैं और इन्हें लाल सिंदुर भेंट कर सकते हैं.
काल भैरव की पूजा करने वाले लोगों को अधार्मिक कर्मों को करने से खुद को रोकना चाहिए. इतना ही नहीं, ऐसे लोगों को अपने क्रोध पर भी काबू पाना चाहिए क्योंकि काल भैरव शिव जी के क्रोधित स्वरूप को ही माना जाता है.