October 25, 2020 Blog

विधि-विधान से करनी चाहिए दिवाली पूजा, वरना आप पर पड़ सकता है उल्टा प्रभाव

BY : STARZSPEAK

By: Deepika Dwivedi

भारत देश के चार प्रमुख त्यौहारों में से एक दिवाली भी होता है। दिवाली के कुछ दिन ही बाकि है। दिवाली क्यों मनाई जाती है और इस दिन किन भगवान की पूजा की जाती है यह तो लगभग सभी जानते है। वर्षों से लोग दिवाली की पूजा करते आ रहे है इसलिए प्रत्येक व्यक्ति जानता है कि इस दिन भगवान रामचन्द्र जी इस दिन 14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे। इस खुशी में पूरे अयोध्यावासी ने घी के दिए जलाकर हर्षोल्लास के साथ स्वागत किया था। तभी से प्रत्येक वर्ष यह त्यौहार बन गया और रामचन्द्र जी के अयोध्या लौटने की खुशी हर साल मनाई जाने लगी।


धीरे-धीरे यह पर्व पूरे भारत देश में प्रसिद्ध हो गया। दिवाली के 2 दिन पहले से लेकर और 2 दिन बाद तक त्यौहारों का सिलसिला जारी रहता है। 21 वीं सदी में कदम भले ही रख लिया हो लेकिन त्यौहारों को वैसे ही धूम-धाम से सेलिब्रेट किया जाता है, हां थोड़ा त्यौहारों को सेलिब्रेट करने का अंदाज बदल गया।


तो चलिए दोस्तों आपकों बताते है कि इस टेक्निक युग में दिवाली पूजा पूरी विधि-विधान से कैसे करनी चाहिए ताकि आपके घर में सुख-समृद्धि हमेशा के लिए बनी रही और मां लक्ष्मी सदैव आपके पास। यदि आपने विधि-विधान से दिवाली पूजा करनी चाहिए, वरना आपके घर पर नकारत्मक प्रभाव भी पड़ सकता है।

दिवाली पूजन श्रद्धा के साथ करनी चाहिए, तो भी लक्ष्मी मां खुश रहती है। आप दिवाली पूजा पूरी विधि-विधान के साथ करेंगे तभी सफल पूजा मानी जाएगी।

माता लक्ष्मीजी के पूजन की सामग्री अपने सामर्थ्य के अनुसार होना चाहिए।  लक्ष्मीजी को कुछ वस्तुएँ विशेष प्रिय हैं। उनका उपयोग करने से वे जल्दी ही प्रसन्न होती हैं, उनका उपयोग अवश्य करना चाहिए। वस्त्र में इनका प्रिय वस्त्र लाल-गुलाबी और पीले रंग का रेशमी वस्त्र है। लक्ष्मी मां को फूलों में कमल और गुलाब का फूल प्रिय है। फल में श्रीफल, सीताफल, बेर, अनार व सिंघाड़े प्रिय हैं। सुगंध में केवड़ा, गुलाब, चंदन के इत्र का प्रयोग इनकी पूजा में अवश्य करें। अनाज में चावल और मिठाई में घर में बनी शुद्धता पूर्ण केसर की मिठाई या हलवा, शिरा का नैवेद्य का भोग प्रिय है। जोत जलाने के लिए गाय का घी, मूंगफली या तिल्ली का तेल इनको शीघ्र प्रसन्न करता है। अन्य सामग्री में गन्ना, कमल गट्टा, खड़ी हल्दी, बिल्वपत्र, पंचामृत, गंगाजल, ऊन का आसन, रत्न आभूषण, गाय का गोबर, सिंदूर, भोजपत्र का पूजन में उपयोग करना चाहिए।

चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियां इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहे। ध्यान रहें कि लक्ष्मीजी, गणेशजी के दाहिनी ओर रहें। पूजा करने वाला जातक मूर्तियों के सामने की तरफ बैठें। कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें। नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का आगे का भाग दिखाई देता रहे और इसे कलश पर रखें।

लक्ष्मी और गणेश भगवान को प्रसन्न करने के लिए उनके समक्ष दो दिए जलाएं। एक दिया घी का और दूसरा दिया तेल का जलाना चाहिए।

इन दियों के अलावा अपने सामर्थ्य अनुसार 11 या 21 या 51 या फिर 101 सरसों के तेल का दिया जलाना चाहिए। और ये दिए अपने घर के कौनों से लेकर दिवारों की किनारी और घर की छतों पर अवश्य रखना चाहिए। कहते है कि इस दिन पूरे घर में तेल के दिए जलाने से घर रोशनी से जगमगहाट करता है तो उस घर में गणेशजी लक्ष्मी की सदैव कृपा बनी रहती है।

इस दिन भगवान की पूजा करते समय एक छोटी चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं। कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से लाल वस्त्र पर नवग्रह की प्रतीक नौ ढेरियां बनाएं। गणेशजी की ओर चावल की सोलह ढेरियां बनाएं। ये सोलह मातृका की प्रतीक हैं। नवग्रह और सोलह मातृका के बीच स्वस्तिक का चिह्न बनाएं। इसके बीच में सुपारी रखें और चारों कोनों पर चावल की ढेरी।

पूजा की थाली में  खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप, सिन्दूर, कुंकुम, सुपारी, पान,  फूल, दुर्वा, चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी-चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक रखें और पूजा में इन सभी पूजन सामग्री से पूजा करें।


पूजा विधि-  

आप हाथ में पूजा के जलपात्र से थोड़ा सा जल ले लें और अब उसे मूर्तियों के ऊपर छिड़कें। साथ में मंत्र पढ़ें। इस मंत्र और पानी आप अपने आप पर, परिवार पर, पूजा की सामग्री पर और अपने आसन पर छिड़क कर पवित्र कर लें।

 ॐ पवित्रः अपवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपिवा।
 यः स्मरेत्‌ पुण्डरीकाक्षं स वाह्यभ्यन्तर शुचिः॥
 पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग षिः सुतलं छन्दः
 कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥



आप किसी ज्ञानी पंडित से भी पूजा करवा सकते है या आप स्वंय भी इन पूजन सामग्री के साथ पूजन कर सकते है। बाजार में उपलब्ध में दिवाली पूजा किताब से मन्त्रों द्वारा पूजा कर सकते है और मन्त्रों का शुद्ध उच्चारणं कर आप अपनी पूजा को सफल कर सकते है।