By: Manmeet Kaur Tura
सबसे पहले आपकों बता दें कि रूद्राभिषेक का अर्थ होता है – रूद्र +अभिषेक। अर्थात रूद्र यानि कि शिवलिंग और अभिषेक यानि स्नान। अर्थात शिवजी जिनकों रूद्र भी कहा जाता है, उनकों स्नान करवाया जाता है। और यह शिव स्नान कोई साधारण नहीं होता बल्कि पूरे भाव-भक्ति के साथ रूद्र मंत्रों के साथ किया जाता है। रूद्राभिषेक करना शिव अराधना का सर्वश्रेष्ठ तरीका माना जाता है। रूद्राभिषेक मंत्रों का वर्णन हमारे शास्त्रों और पुराणों में है। साथ ही कहते है कि हमारे वेदों ऋग्वेद,यजुर्वेद, और सामवेद में भी इसका वर्णन किया गया है।
वैसे तो रूद्राभिषेक कई प्रकार का होता है। एक: रूद्राभिषेक, तृतीय रूद्राभिषेक और नवम् रूद्राभिषेक और एकादश रूद्राभिषेक होता है। जब भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है, तो रूद्राष्टाध्याय के मंत्रों का उच्चारण कर अभिषेक करना रूद्राभिषेक का पूर्ण माना जाता है। और इसी वजह से सबसे शक्तिशाली और बलशाली एकादश रूद्राभिषेक माना जाता है। कहते है यदि कोई शिव भक्त एकादश रूद्राभिषेक से शिव की अराधना करते है तो भगवान शिव बेहद और जल्दी प्रसन्न होतें है।
एकादश रूद्राभिषेक कैसे और किस विधि से किया जाता है वह इस प्रकार से है-
रूद्राष्टाध्यायी के मन्त्रों के उच्चारण के साथ जल, दूध, पंचामृत, आमरस, गन्ने का रस, नारियल का जल और गंगाजल आदि से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है, वही रूद्राभिषेक कहलाता है। शिवपुराण के अनुसार भक्त को अपने पवित्र मन, वचन, और कर्म द्वारा भगवान शूलपाणि का रूद्राष्टाध्यायी के मन्त्रों से अभिषेक करने से मनुष्य की समस्त कामनाओं की पूर्ति हो जाती है। और मृत्यु के बाद उस मनुष्य को परम गति की प्राप्ति होती है।
‘रूद्राष्टाध्यायी’ में वैसे तो 10 अध्याय है लेकिन 8 अध्याय उत्तम माने गए है। और सर्वश्रेष्ठ रूद्री, लघुरूद्र, महारूद्र और अतिरूद्र माना गया है। यह रूष्टाध्यायी के पांचवें अध्याय में है जिसमें रूद्राअध्याय की 11 आवृत्ति और शेष अध्याय की एक आवृत्ति के साथ अभिषेक से एक रूद्राभिषेक या एकादश अभिषेक कहलाता है।
एकादश रूद्राभिषेक के बाद 11 बार लघुरूद्र फिर लघुरूद्र के बाद 11 बार महारूद्र के पाठ से अतिरूद्र का अनुष्ठान होता है।
एकादश रूद्राभिषेक से क्या फल प्राप्त होता है-