सीता स्वयंवर में प्रभु राम द्वारा तोड़े गए शिव जी के धनुष का क्या था रहस्य ?

सीता स्वयंवर में प्रभु राम द्वारा तोड़े गए शिव जी के धनुष का क्या था रहस्य ?

लेखक: सोनू शर्मा

यदि आपने रामायण पढ़ी है तो आपको शिव जी के धनुष के बारे में तो पता होगा जिसका वर्णन रामायण में किया गया है  वो कोई साधारण धनुष नहीं था बल्कि एक ब्रह्मास्त्र था जिसे रावण हासिलकरना चाहता था और राजा जनक को यह डर था की यदि यह धनुष रावण ने हथिया लिया तो वह इससे सृष्टि का विनाश कर सकता है, इसीलिए उन्होंने सोचा की यदि यह धनुष टूट जायेगा तो ये हीसबके लिए अच्छा होगा   

राजा जनक की शर्त थी की जो भी उस धनुष की प्रत्यंचा को तोड़ देगा उससे ही सीता का विवाह होगा । उस धनुष के सञ्चालन कि विधि बहुत कम लोगो को मालूम थी, केवल राजा जनक, सीता जी,  श्री परशुराम और श्री विश्वामित्र ही इस बारे में जानते थे और विश्वमित्र जी ने इस बारे में श्री राम जी को भी थोड़ा बहुत बताया था ।

कहा जाता है की वह धनुष उस काल का नियुक्लियर वेपन था और सभी ऋषि मुनि चाहते थे की उसे नष्ट कर दिया जाए क्योकि उसपे रावण की कुद्रष्टि थी और सबकी सहमति से यह नतीजा निकाला गया की इस धनुष का दुरूपयोग हो उससे बेहतर इसका नष्ट होना ही सबके लिए उचित होगा । सबने मिलकर तय किया की पूरे समाज के सामने इसे नष्ट किया जाये। इसी कारण सीता के स्वम्वर का आयोजन किया गया जिसमे रावण समेत बहुत से राजाओं को बुलाया गया और श्रीराम जी के द्वारा वह धनुष नष्ट हुआ ।