इस बार धनतेरस पर क्या करे खास की घर में हो धन वर्षा!

इस बार धनतेरस पर क्या करे खास की घर में हो धन वर्षा!

लेखिका : रजनीशा शर्मा

धनतेरस के दिन से ही दीपावली के पर्व का प्रारम्भ हो जाता है | धनतेरस कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है | धनतेरस के दिन कुबेर और धन्वंतरि जी का पूजन किया जाता है | इस दिन घर में धातु को खरीद कर लाया जाता है | इस दिन लोग गहने ,बर्तन आदि घर में खरीद कर लाते है | इस दिन बर्तन घर में लाने से घर में धनधान्य में वृद्धि होती है और माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है | इस दिन भगवान धन्वंतरि के पूजन से आरोग्यता का आशीर्वाद प्राप्त होता है | शुभ लग्न में खरीदारी करने से शुभता  का फल कई गुना बढ़ जाता है | इस बार इस शुभ मुहूर्त में करे खरीदारी -

 त्रयोदशी तिथि 13 नवंबर  को धनतेरस का दिन है| धनतेरस के दिन सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त:

13 नवंबर 2018, शुक्रवार –  25:24+ से 30:39+

25:24+ से 30:39+ के मध्य शुभ चौघड़िया मुहूर्त

रात्रि मुहूर्त (लाभ) = 17:28 से 17:08 तक।
प्रातःकाल मुहूर्त (शुभ) = 06:42 से 08:03 तक।

13 नवंबर 2020, शुक्रवार– 17:28 से 17:59

06:39 से 23:46 के मध्य शुभ चौघड़िया मुहूर्त

सुबह का मुहूर्त (अमृत) = 06:40 – 08:01
सुबह का मुहूर्त (शुभ) = 09:22 – 10:43
सायंकाल मुहूर्त (चर) = 13:26 – 19:08
रात्रि मुहूर्त (लाभ) = 22:26 – 23:46

 लक्ष्मी पूजन प्रदोषकाल में शुभ माना जाता है इस बार प्रदोष काल शाम 5 बजकर 45 मिनट से 8 बजकर 17 मिनट तक रहेगा | 

 भगवान धन्वतरि को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है | भगवान धन्वंतरि अपने हाथो में पीतल का अमृत कलश लिए रहते है और अपने भक्तो को आरोग्यता का आशीर्वाद देते है | इस लिए इस दिन पीतल का बर्तन घर में लाने का विशेष महत्व है| इसके अतिरिक्त पीतल का निर्माण तांबा और जस्ता धातुओं के मिश्रण से होता है सनातन धर्म में पूजा पाठ और धार्मिक कर्मकांडो में पीतल धातु का उपयोग किया जाता था | पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन समुद्र मंथन से भगवान धन्वंतरि का पृथ्वी पर आगमन हुआ था| समुद्र मंथन से कार्तिक द्वादशी को माँ कामधेनु , और त्रयोदशी को भगवान धन्वंतरि का आगमन हुआ था इसके पश्चात कार्तिक अमावस्या को माँ लक्ष्मी का अवतरण हुआ था | इसी कारण अमावस्या को माँ धनलक्ष्मी का पूजन किया जाता है | जहा क्रोध , वैमनस्य आदि विकृतियों का वास होता है वहा माँ लक्ष्मी वास नहीं करती | मनुष्य को अपना अंतःकरण शुद्ध  रखना चाहिए |