क्या हैं शक्तिपीठ?
शक्तिपीठ वो पवित्र स्थान हैं जहां देवी सती के अंग, आभूषण या वस्त्र गिरे थे, जब भगवान शिव उन्हें लेकर आकाश में घूम रहे थे। यह स्थान नारी शक्ति और श्रद्धा के प्रतीक हैं, जिनकी संख्या 51 (51 Shakti Peeth List) मानी जाती है। हर शक्तिपीठ की अपनी अनूठी कहानी और शक्ति स्वरूपा है।
शक्तिपीठों की पौराणिक पृष्ठभूमि (Mythological background of 51 Shakti Peeth List)
देवी सती ने जब अपने पिता दक्ष के यज्ञ में स्वयं को अग्नि को समर्पित कर दिया, तो भगवान शिव शोक में उन्हें अपने कंधे पर उठाकर तांडव करने लगे। इससे सृष्टि का संतुलन बिगड़ गया। तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों (51 Shakti Peeth List with states) में विभाजित किया, जो अलग-अलग स्थानों पर गिरे। यही स्थान शक्तिपीठ कहलाए।
शक्तिपीठों का धार्मिक महत्व (Religious Importance of 51 Shakti Peeth List)
प्रत्येक शक्तिपीठ देवी के एक विशेष अंग या आभूषण से जुड़ा हुआ है, और वहां देवी एक विशेष रूप में पूजी जाती हैं। साथ ही, हर स्थान पर भगवान शिव भी एक विशेष रूप में विराजमान रहते हैं जिन्हें भैरव कहा जाता है। इन पीठों (51 Shakti Peeth List) की यात्रा करना आध्यात्मिक उन्नति और आंतरिक शक्ति को जागृत करने का मार्ग माना गया है।
शक्तिपीठों का परिचय (Introduction to 51 Shakti Peeth List with States)
- कामाख्या शक्तिपीठ (असम)
असम के गुवाहाटी शहर में स्थित कामाख्या शक्तिपीठ को सबसे प्रमुख और रहस्यमय शक्तिपीठों में गिना जाता है। यह वही स्थान है जहां माता सती की योनि गिरी थी। इसलिए यहां देवी कामाख्या के रूप में पूजी जाती हैं, और भैरव उमानंद के रूप में विराजते हैं। यह स्थान तांत्रिक साधना के लिए विशेष प्रसिद्ध है।
- विमल शक्तिपीठ (पुरी, ओडिशा)
पुरी के जगन्नाथ मंदिर परिसर में स्थित यह शक्तिपीठ देवी सती की नाभि से जुड़ा है। यहां माता विमला के रूप में पूजी जाती हैं और भैरव जगन्नाथ रूप में हैं। यह स्थान भक्तों के लिए गहरे आध्यात्मिक अनुभव का केंद्र माना जाता है।
- जयंती शक्तिपीठ (बांग्लादेश/असम सीमा)
यह शक्तिपीठ (51 Shakti Peeth List with states) देवी सती की बाईं जांघ के गिरने से बना। यहां देवी जयन्ती के रूप में पूजी जाती हैं और भैरव केतुभैरव हैं। यह स्थान वर्तमान में बांग्लादेश सीमा के निकट स्थित है, और वहां पहुंचना कठिन जरूर है, पर आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है।
- महालक्ष्मी शक्तिपीठ (कोल्हापुर, महाराष्ट्र)
कोल्हापुर में स्थित इस शक्तिपीठ को देवी सती की आंख के गिरने का स्थान माना जाता है। यहां माता महालक्ष्मी के रूप में पूजा जाती हैं, और भैरव कुरुंभ के रूप में। यह मंदिर धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी को समर्पित है और हजारों श्रद्धालु यहां आते हैं।
- महाकाली शक्तिपीठ (उज्जैन, मध्यप्रदेश)
यह स्थान उज्जैन में है, जहां माता सती के ऊपर के होंठ गिरे थे। देवी महाकाली के रूप में यहां पूजी जाती हैं और भैरवनाथ यहां के रक्षक हैं। यह स्थान काल भैरव और ज्योतिर्लिंग महाकाल के निकट होने के कारण और भी विशेष बन जाता है।
- मणिकर्णिका शक्तिपीठ (काशी, उत्तरप्रदेश)
मणिकर्णिका घाट पर स्थित यह शक्तिपीठ (51 Shakti Peeth List) देवी के कान के आभूषण (कुंडल) के गिरने से बना। यहां देवी को विश्वालाक्षी और भैरव को कालभैरव के रूप में पूजा जाता है। यह स्थान मोक्ष का द्वार माना जाता है, और यहां मृत्यु भी जीवन का उत्सव मानी जाती है।
- शिवानी शक्तिपीठ (हिंगलाज, पाकिस्तान)
पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित यह स्थान जहां देवी सती का सिर गिरा था। यहां माता हिंगलाज के रूप में पूजी जाती हैं और भैरव भीमलोचन हैं। यह भारत के बाहर सबसे महत्वपूर्ण शक्तिपीठों में से एक है और आज भी वहां श्रद्धालु जाते हैं।
- तारा तारिणी शक्तिपीठ (ओडिशा)
ब्रह्मपुर (गंजाम) में स्थित इस शक्तिपीठ (51 Shakti Peeth List) को माता सती के स्तनों से जोड़ा जाता है। यहां देवी तारा और तारिणी के रूप में पूजी जाती हैं। यह स्थान विशेष रूप से मां के पालन और पोषण के गुणों को दर्शाता है।
- पूर्णेश्वरी शक्तिपीठ (श्रीहट्ट, बांग्लादेश)
यहां देवी सती (51 Shakti Peeth List) की पीठ (कमर) गिरी थी। देवी पूर्णेश्वरी के रूप में यहां पूजी जाती हैं और भैरव बटुक के रूप में उपस्थित हैं। यह स्थान बांग्लादेश में स्थित है और सांस्कृतिक दृष्टि से भारत-बांग्ला संबंधों का आध्यात्मिक उदाहरण है।
- शाकम्भरी शक्तिपीठ (सहारनपुर, उत्तरप्रदेश)
यह शक्तिपीठ (51 Shakti Peeth List) देवी की दाहिनी जांघ के गिरने से बना। यहां देवी शाकम्भरी रूप में पूजी जाती हैं और भैरव राक्षेश्वर के रूप में। यह स्थान देवी के रक्षक और पालन करने वाले रूप का प्रतीक है।
- ब्रह्मरंभा शक्तिपीठ (श्रीशैलम, आंध्र प्रदेश)
यहां देवी सती का गला गिरा था। श्रीशैलम पर्वत पर स्थित यह स्थान देवी ब्रह्मरंभा के रूप में प्रसिद्ध है, और भैरव मल्लिकार्जुन के रूप में यहां उपस्थित हैं। यह स्थान शक्तिपीठ के साथ-साथ ज्योतिर्लिंग के रूप में भी विशेष है।
- कुमारी अम्बा शक्तिपीठ (कन्याकुमारी, तमिलनाडु)
यह शक्तिपीठ (51 Shakti Peeth List) देवी सती की पीठ के गिरने से बना। यहां माता को कुमारिका के रूप में पूजा जाता है और भैरव निरुत्य के रूप में। यह वही स्थान है जहां देवी ने तपस्या की थी भगवान शिव को पाने के लिए।
- विशालाक्षी शक्तिपीठ (काशी, उत्तरप्रदेश)
यहां माता का कान गिरा था। देवी विशालाक्षी के रूप में पूजी जाती हैं और भैरव कालभैरव के रूप में। काशी स्वयं में ही मोक्षदायिनी नगरी है, और यह शक्तिपीठ वहां की ऊर्जा को और बढ़ा देता है।
- श्रावणी शक्तिपीठ (श्रवण, कर्नाटक)
यह शक्तिपीठ (51 Shakti Peeth List) माता सती की त्वचा के गिरने से बना। यहां देवी को नारायणी के नाम से जाना जाता है, और भैरव शंकरनंद हैं। यह स्थान दक्षिण भारत में स्थित एक गूढ़ शक्ति स्थल है।
- यज्ञवराह शक्तिपीठ (अल्मोड़ा, उत्तराखंड)
यहां माता की नाभि का भाग गिरा था। देवी यज्ञवराही और भैरव रुद्र नाम से पूजित हैं। यह स्थान विशेष रूप से वैदिक यज्ञों और तपस्याओं का केंद्र माना जाता है।
- महालया शक्तिपीठ (पश्चिम बंगाल)
यह वह स्थान है जहां देवी सती के दाहिने पैर की अंगुली गिरी थी। देवी महालया के रूप में यहां पूजी जाती हैं और भैरव शिव के रूप में। यह शक्तिपीठ गंगा सागर के समीप स्थित है। (51 Shakti Peeth List)
- बहुला शक्तिपीठ (बर्धमान, पश्चिम बंगाल)
यहां माता का बायां हाथ गिरा था। देवी बहुला के नाम से पूजी जाती हैं और भैरव भैरवनाथ के रूप में यहां उपस्थित हैं। यह स्थान शांत वातावरण और ग्रामीण आध्यात्मिकता का प्रतीक है।
- ज्वालामुखी शक्तिपीठ (हिमाचल प्रदेश)
यह शक्तिपीठ (51 Shakti Peeth List) उस स्थान पर है जहां माता की जीभ गिरी थी। देवी ज्वालामुखी के रूप में अग्निरूपिणी हैं, और यहां बिना तेल या बाती के आज भी ज्वाला जलती रहती है। भैरव अनल नाम से पूजित हैं।
- नागेश्वरी शक्तिपीठ (सिंध, पाकिस्तान)
यहां माता की हील (एड़ी) गिरी थी। देवी नागेश्वरी और भैरव संगट हैं। यह स्थान पाकिस्तान में स्थित है, और भारत के बाहर स्थित एक महत्वपूर्ण शक्तिपीठ है।
- त्रिपुरमालिनी शक्तिपीठ (लाहौर, पाकिस्तान)
यहां देवी की बाईं आंख गिरी थी। देवी त्रिपुरमालिनी और भैरव भ्रामर हैं। वर्तमान में यह स्थान पाकिस्तान में है और ऐतिहासिक महत्व रखता है। (51 Shakti Peeth List)
- शैलपुत्री शक्तिपीठ (श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर)
यहां देवी का दाहिना हाथ गिरा था। देवी शैलपुत्री के रूप में पूजी जाती हैं, और भैरव अर्धनारीश्वर हैं। यह पर्वतीय क्षेत्र की शांति और देवी की शक्ति का मिलन है।
- नारायणी शक्तिपीठ (वह स्थल अज्ञात)
यह शक्तिपीठ (51 Shakti Peeth List) देवी के दांत गिरने से बना माना जाता है। देवी नारायणी रूप में पूजी जाती हैं, और भैरव संग्राम भैरव के नाम से। इसका स्थान स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह पीठ लोककथाओं में प्रसिद्ध है।
- अट्टहास शक्तिपीठ (लाभपुर, पश्चिम बंगाल)
यहां देवी का निचला होंठ गिरा था। देवी अट्टहास और भैरव भीमलोजान के रूप में यहां विराजते हैं। यह पीठ “अट्टहास” यानी मां की हँसी की ऊर्जा को दर्शाता है।
- भ्रामरी शक्तिपीठ (कुमारकोम, केरल)
यहां माता के बाल गिरे थे। देवी भ्रामरी के रूप में पूजी जाती हैं और भैरव अम्बर हैं। यह स्थान बहुत कम प्रसिद्ध है परन्तु तांत्रिक साधना के लिए महत्वपूर्ण है।
- नंदिनी शक्तिपीठ (सिंध, पाकिस्तान)
यहां देवी का नितंब गिरा था। देवी नंदिनी और भैरव नंदिकेश्वर के रूप में पूजित हैं। वर्तमान में यह पाकिस्तान में स्थित है और ऐतिहासिक रूप से शक्तिस्थल माना जाता है।
- त्रिस्रोत शक्तिपीठ (सिरपुर, छत्तीसगढ़)
यह शक्तिपीठ (51 Shakti Peeth List) देवी की भौंहों के गिरने से बना। देवी त्रिस्रोत और भैरव शिवार्तन के रूप में पूजित हैं। यह स्थल मध्य भारत में छिपा हुआ एक आध्यात्मिक रत्न है।
- देवी दुर्गा शक्तिपीठ (वाराही, उत्तरप्रदेश)
यहां माता का हृदय गिरा था। देवी दुर्गा रूप में यहां पूजी जाती हैं, और भैरव क्रोधेश हैं। यह पीठ साहस और शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।
- कांची कामाक्षी शक्तिपीठ (कांचीपुरम, तमिलनाडु)
यहां माता की पीठ गिरी थी। देवी कामाक्षी के रूप में पूजी जाती हैं और भैरव अम्बरीश हैं। यह स्थान दक्षिण भारत की शक्ति उपासना का प्रमुख केंद्र है।
- शिवशक्ति शक्तिपीठ (हरिद्वार, उत्तराखंड):
यहां देवी की भुजा का भाग गिरा था। देवी शिवशक्ति और भैरव भैरवनाथ के रूप में पूजे जाते हैं। हरिद्वार में गंगा तट पर स्थित यह स्थान ऊर्जा और शांति का संगम है।
- यज्ञगर्भ शक्तिपीठ (सौराष्ट्र, गुजरात):
यहां माता की जांघ गिरी थी। देवी यज्ञगर्भा और भैरव विकृताक्ष हैं। यह स्थल गुजरात में समुद्र किनारे स्थित है और विशेष साधना के लिए जाना जाता है।
- किरातेश्वर शक्तिपीठ (हिमालय, नेपाल):
यहां माता की नाक गिरी थी। देवी किरातेश्वर और भैरव किरातेश्वर के रूप में पूजित हैं। यह स्थल नेपाल में स्थित है और तीव्र तप के लिए आदर्श माना जाता है।
- मनसा शक्तिपीठ (तंगैल, बांग्लादेश):
यहां देवी की भौंह गिरी थी। देवी मनसा के रूप में पूजी जाती हैं, जो सर्पों की देवी भी मानी जाती हैं। भैरव व्रजेश यहां सहायक ऊर्जा के रूप में उपस्थित हैं।
- ललिता शक्तिपीठ (प्रयागराज, उत्तर प्रदेश):
यहां देवी की अंगुली गिरी थी। देवी ललिता और भैरव भैरवनाथ के रूप में प्रतिष्ठित हैं। यह तीर्थ त्रिवेणी संगम पर स्थित है, जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती मिलती हैं।
- मंगला चंडी शक्तिपीठ (बर्धमान, पश्चिम बंगाल):
यहां देवी की दाईं भुजा गिरी थी। देवी मंगला चंडी और भैरव कपिल हैं। यह स्थान बंगाल के लोक आस्था का मजबूत केंद्र है।
- भद्रकाली शक्तिपीठ (ओडिशा):
यहां देवी की पायल गिरी थी। देवी भद्रकाली रूप में और भैरव भद्रनाथ के रूप में पूजे जाते हैं। यहां तांत्रिक साधना का विशेष महत्व है।
- श्री एकलिंग शक्तिपीठ (उदयपुर, राजस्थान):
यहां देवी की छाती का भाग गिरा था। देवी श्री एकलिंग और भैरव एकलिंगनाथ के रूप में पूजित हैं। यह स्थान राजस्थान की राजपूत परंपरा से भी जुड़ा है।
- चंडीघाट शक्तिपीठ (हरिद्वार, उत्तराखंड):
यहां माता की कलाई गिरी थी। देवी चंडीघाट और भैरव दक्षनाथ के रूप में यहां विराजते हैं। यह स्थान गंगा के तट पर स्थित है।(51 Shakti Peeth List with states)
- श्री विंध्यवासिनी शक्तिपीठ (विंध्याचल, उत्तर प्रदेश):
यहां देवी का शीतल अंश गिरा था। देवी विंध्यवासिनी और भैरव कालभैरव हैं। यह शक्तिपीठ नवदुर्गा उपासना के लिए विख्यात है।
- श्री चामुंडा देवी शक्तिपीठ (कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश):
यहां माता के बाल गिरे थे। देवी चामुंडा के रूप में पूजी जाती हैं और भैरव रुद्रनाथ हैं। यह स्थान घाटी में स्थित होने के बावजूद अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है।
- देवी कालिका शक्तिपीठ (कालीघाट, कोलकाता):
यहां माता का अंगूठा गिरा था। देवी कालिका और भैरव नकुलेश यहां पूजे जाते हैं। यह शक्तिपीठ महानगर में होने के बावजूद अत्यंत जाग्रत है।
- श्री शंकरदेवी शक्तिपीठ (श्रीलंका):
यहां देवी के दाँत गिरे थे। देवी शंकरदेवी और भैरव रक्षेश्वर के रूप में पूजित हैं। यह विदेशी भूमि में स्थित एक पवित्र स्थल है। (51 Shakti Peeth List)
- श्री हिंगलाज माता शक्तिपीठ (बलूचिस्तान, पाकिस्तान):
यहां देवी का ब्रह्मरंध्र गिरा था। देवी हिंगलाज रूप में पूजी जाती हैं, और भैरव चंड हैं। यह अत्यंत दुर्गम स्थान पर स्थित है, लेकिन तांत्रिकों के लिए विशेष महत्त्व रखता है।
- श्री भवानी शक्तिपीठ (पुणे, महाराष्ट्र):
यहां देवी की कलाई गिरी थी। देवी भवानी के रूप में पूजी जाती हैं और भैरव भैरवनाथ हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज की आराध्य देवी भी यही हैं।
- श्री मंदारगिरि शक्तिपीठ (भागलपुर, बिहार):
यहां देवी का बायां स्तन गिरा था। देवी मंदारेश्वरी और भैरव मंदारधारी के रूप में पूजित हैं। यह स्थान मंदार पर्वत के पास स्थित है।
- श्री त्रिपुरा सुंदरी शक्तिपीठ (उन्नकोटी, त्रिपुरा):
यहां देवी की दाईं आंख गिरी थी। देवी त्रिपुरा सुंदरी और भैरव त्रिपुरेश्वर के रूप में पूजित हैं। यह स्थान पूर्वोत्तर भारत में स्थित सौंदर्य का प्रतीक है।
- श्री बाराही शक्तिपीठ (नेपाल):
यहां माता की बाईं भुजा गिरी थी। देवी बाराही रूप में और भैरव शंकरनाथ के रूप में पूजित हैं। यह स्थान नेपाल की शांत पहाड़ियों में स्थित है।
- श्री दुर्गा शक्तिपीठ (अमरावती, महाराष्ट्र):
यहां देवी का गाल गिरा था। देवी दुर्गा और भैरव भैरवनाथ के रूप में यहां पूजा होती है। यह महाराष्ट्र का एक प्रमुख शक्तिपीठ है।
- श्री इन्द्रनीला शक्तिपीठ (बैराट, राजस्थान):
यहां देवी का माथा गिरा था। देवी इन्द्रनीला और भैरव रौद्रनाथ के रूप में पूजित हैं। यह स्थान प्राचीन राजपूतकालीन स्थापत्य का भी उदाहरण है।
- श्री गंधमादन शक्तिपीठ (गंधमादन पर्वत, उत्तराखंड):
यहां माता के बाल गिरे थे। देवी गंधमादन और भैरव शिवनाथ के रूप में पूजित हैं। यह स्थान ऋषियों की तपस्थली भी रहा है।
- श्री दंती शक्तिपीठ (उड़ीसा):
यहां माता का दांत गिरा था। देवी दंती और भैरव रौद्रनाथ के रूप में पूजित हैं। यह तांत्रिक उपासना के लिए विशेष रूप से पूजित स्थल है।
- श्री पूर्णगिरि शक्तिपीठ (टनकपुर, उत्तराखंड):
अंतिम शक्तिपीठ (51 Shakti Peeth List) है जहां माता की नाभि गिरी थी। देवी पूर्णगिरि और भैरव कालभैरव के रूप में पूजे जाते हैं। नवरात्रि में यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन हेतु आते हैं।
शक्तिपीठों की विशेषता (Features of 51 Shakti Peeth List)
- प्रत्येक शक्तिपीठ केवल भक्ति का केंद्र नहीं बल्कि शक्ति की प्रतीकात्मकता है।
- कुछ शक्तिपीठ भारत में हैं तो कुछ नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देशों में भी स्थित हैं, जो हमारी सांस्कृतिक एकता को दर्शाते हैं।
- प्रत्येक स्थान पर देवी की मूर्ति, वातावरण और पूजा की पद्धति अलग-अलग होती है।
मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण
शक्तिपीठों (51 Shakti Peeth List) की यात्रा न केवल धार्मिक होती है बल्कि आत्मिक शांति, मानसिक संतुलन और आंतरिक ऊर्जा को जागृत करने वाली भी होती है। ऐसे स्थलों पर ध्यान और पूजा करने से मानसिक शांति मिलती है और श्रद्धालु अपने जीवन में एक नई ऊर्जा का अनुभव करता है।
निष्कर्ष
51 शक्तिपीठ (51 Shakti Peeth List) केवल पूजा स्थलों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये देवी शक्ति के विविध रूपों की दिव्य स्मृतियाँ हैं। इन स्थानों की यात्रा करना, उनसे जुड़ी कथाओं को समझना और उनमें समाई चेतना को महसूस करना, आत्मिक जागृति की दिशा में एक पवित्र कदम माना जाता है।