लेखिका : रजनीशा शर्मा
हिन्दू धर्म में बड़ो के प्रति आदर और सम्मान की पराकाष्ठा और किसी धर्म में देखने को नहीं मिलती | हिन्दू धर्म में जीवित या मृत सभी को प्रेम और सम्मान दिया जाता है |, र्हिन्दू धर्म में तीनो ऋण माने गए है , पितृ ऋण , देव ऋण एवं ऋषि ऋण | पितृ ऋण से मुक्ति का मार्ग प्रषत्र करने के लिए पितृ पक्ष में श्राद्ध का महत्व है | अश्विन माह के कृष्ण पक्ष के 15 दिन श्राद्ध पक्ष के नाम से जाना जाता है |यदि आपको आपके पूर्वजो की तिथि ज्ञात ना हो तो पितृ पक्ष में अमावस्या को श्राद्ध किया जाता है | ऐसा करने से पूर्वजो का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर में धन वैभव एवं सुख शान्ति बनी रहती है | यदि आप श्राद्ध नहीं करते है तो आप की कुंडली में पितृ दोष उत्पन्न हो जाता है जो आपकी आने वाली पीढ़ी को भी कष्ट पहुंचाता है| धन हानि , ग्रह क्लेश आदि परेशानियों का सामना करना पड़ता है |तीन पीढ़ियों तक श्राद्ध से पितरो को पूजन प्राप्त होता है | पितर ही कुल की रक्षा एवं वृद्धि करते है |
श्राद्ध का सही समय दोपहर के बाद का माना गया है इस दिन लहसुन प्याज का त्याग कर सात्विक भोजन करना चाहिए | जमीन के नीचे उगी सब्जियों का भी सेवन इस दिन ना करे |अलग अलग तिथि में श्राद्ध करने से अलग अलग शुभ फल प्राप्त होते है |
* प्रतिपदा तिथि में श्राद्ध करने से योग्य संतान प्राप्त होती है |
* द्व्तीया तिथि में श्राद्ध से सुंदर कन्या रत्न की प्राप्ति होती है |
* तृतीया में श्राद्ध करने से धन में वृद्धि होती है |
* चतुर्थी तिथि में श्राद्ध करने से जीवन में कष्टों से मुक्ति मिलती है |
* पंचमी तिथि में श्राद्ध करने से कई पुत्र रत्नो की प्राप्ति होती है |
* पष्ठी में श्राद्ध करने से सौंदर्य की प्राप्ति होती है |
* सप्तमी तिथि में श्राद्ध करने से भूमि लाभ होता है |
* अष्टमी तिथि में श्राद्ध व्यापार में वृद्धि एवं उन्नति करता है |
* नवमी तिथि का श्राद्ध सामान्य फलदायी होता है |
* दशमी तिथि में श्राद्ध करने से दूध दही एवं धान्य वृद्धि करता है |
* एकादशी श्राद्ध से सौंदर्य प्रसाधन एवं घर में धातु वृद्धि करता है |
* द्वादशी का श्राद्ध घर में उत्तम धातु वृद्धि अर्थात सोना चांदी में वृद्धि करता है |
* त्रयोदशी श्राद्ध पद प्रतिष्ठा एवं सम्मान में वृद्धि करता है |
* चतुर्दशी के दिन किया गया श्राद्ध हानि पहुंचाता है और अकाल मृत्यु का सामना करना पड़ता है |
* अमावस्या का श्राद्ध सभी कामनाओ की पूर्ति करने वाला है |
इसी प्रकार कृतिका, रोहिणी एवं मृगशिरा नक्षत्र में किया गया श्राद्ध शोक दूर कर पुत्र की प्राप्ति कराता है , आद्रा नक्षत्र में श्राद्ध नहीं करना चाहिए ,इससे क्रूर प्रवृत्ति होती है , पुष्य नक्षत्र में श्राद्ध करने से स्वास्थ लाभ मिलता है | अश्लेषा नक्षत्र में श्राद्ध करने से सम्मान , पूर्वाफाल्गुनी में करने से सौभाग्य , उत्तराफाल्गुनी में करने से संतान लाभ , चित्रा नक्षत्र में रूप , स्वाति नक्षत्र में धन लाभ , विशाखा नक्षत्र में अनेक संतान प्राप्त होती है | अनुराधा नक्षत्र में श्राद्ध करने से राज्य लाभ , ज्येष्ठा में ऐश्वर्य , मूल में आरोग्य , पूर्वाषाढ़ा में यश , उत्तराषाढ़ा में शोक नाश , श्रवण में सद्गति , धनिष्ठा में राज्य लाभ , शतभिषा में कामना सिद्धि भरनी में आयु वृद्धि , हस्त में सभी तरह के लाभ प्राप्त होते है |